भारतीय टीम इस समय पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए इंग्लैंड दौरे पर हैं. दोनों टीमों के बीच अब तक तीन टेस्ट मैच खेले जा चुके हैं. इस सीरीज में मैच ड्यूक बॉल से ही हो रहा है. ड्यूक बॉल इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है. दोनों ही टीमों ने इस गेंद के जल्दी खराब होने की शिकायत भी की थी. इसके बाद अब गेंद को बनाने वाली कंपनी ने इसकी जांच करने के लिए कहा है. इस गेंद का इस्तेमाल इंग्लैंड के अलावा और भी देशों में होता है और ये गेंद काफी महंगी होती है.
ड्यूक बॉल का वजन
इंटरनेशनल क्रिकेट की बॉल का वजन नियमों के मुताबिक तय किया जाता है. बात करें ड्यूक बॉल के वजन की तो वो 155 ग्राम से लेकर 163 ग्राम तक होती है. गेंद का साइज और वजन आईसीसी के नियमों के मुताबिक होता है.
ड्यूक बॉल की कीमत
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस गेंद के लिए चमड़ा स्कॉटलैंड से मंगाया जाता है. चमड़े की मोटाई 4 मिलीमीटर से 4.5 मिलीमीटर तक होती है. ड्यूक बॉल को ब्रिटिश क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड कंपनी बनाती है. एक गेंद को बनाने में 3 से 4 घंटे लगते हैं. इसकी कीमत 10 से 15 हजार रुपये के बीच में होती है.
क्या सिर्फ इंग्लैंड में होता है ड्यूक गेंद का इस्तेमाल?
इंटरनेशनल क्रिकेट में कई तरह के गेंदों का इस्तेमाल होता है, इसमें से ड्यूक बॉल एक है. टेस्ट मैचों में इंग्लैंड में इसी बॉल का इस्तेमाल होता है. ड्यूक बॉल का इस्तेमाल इंग्लैंड के अलावा दो और देशों में आता है. वेस्टइंडीज और आयरलैंड की टीम ड्यूक बॉल से ही टेस्ट मैच खेलती है.
ड्यूक गेंद की खासियत
ड्यूक बॉल की सिलाई मशीन से नहीं, बल्कि हाथों से की जाती है. ड्यूक बॉल की सीम लंबे समय तक ठीक रहती है. यह गेंद लम्बे समय तक हार्ड रहती है और इसका शेप जल्दी नहीं बदलता. तेज गेंदबाजों को इस गेंद से ज्यादा मदद मिलती है. लेकिन इसमें गेंदबाज की स्किल भी मायने रखती है.
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