नर्स निमिषा प्रिया की जान बचाने के लिए याचिकाकर्ता ने यमन जाकर समझौते की अनुमति मांगी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा – ‘सरकार को ज्ञापन दें’

यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को मौत की सजा से बचाने की मांग पर शुक्रवार (18 जुलाई, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता संस्था ने कोर्ट को बताया कि सजा फिलहाल टाल दी गई है.

याचिकाकर्ता ने यमन जाकर पीड़ित परिवार से मिलने और समझौते का प्रयास करने की बात कही. इस पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता इसके लिए सरकार को ज्ञापन दे.

केरल की रहने वाली निमिषा पर हत्या का दोष सिद्ध हुआ है. उसे 16 जुलाई को फांसी होनी थी, लेकिन भारत सरकार और केरल के एक वरिष्ठ मुफ्ती के प्रयासों से इसे फिलहाल टाल दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को अगली सुनवाई की बात कही है.

केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच से कहा कि सभी निमिषा की सुरक्षित वापसी चाहते हैं, लेकिन मामले में अधिक दखल का परिणाम बुरा भी हो सकता है. विदेश मंत्रालय ने औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों तरीकों से सजा को टालने का अनुरोध किया है.

‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ नाम की संस्था ने कहा है कि यमन के कानून में हत्या की सजा खत्म करने का प्रावधान है. मृतक का परिवार दोषी पक्ष से समझौते और नकद भुगतान के बाद हत्यारे को माफ कर सकता है. ऐसे में अगर केंद्र सरकार दखल दे तो समाधान निकल सकता है.

निमिषा प्रिया पर 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोष सिद्ध हुआ है. 2020 में उसे फांसी की सजा सुनाई गई थी. याचिका दाखिल करने वाली संस्था ने बताया है कि 37 साल की निमिषा खुद एक पीड़िता है. महदी ने लंबे समय से उसका पासपोर्ट जब्त कर रखा था. वह लगातार उसे प्रताड़ित कर रहा था. 

याचिकाकर्ता संस्था ने कहा है कि जिस दौरान निमिषा का पासपोर्ट महदी ने अवैध तरीके से जब्त कर रखा था, तब उसने कानूनी सहायता प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाई. निमिषा ने अपना पासपोर्ट हासिल करने के लिए उसे नींद का इंजेक्शन दिया, लेकिन उसकी मृत्यु हो गई. उसका हत्या का कोई इरादा नहीं था.

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