यमन में निमिषा प्रिया की फांसी की सजा को टालने के लिए सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज और भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम ए पी अबूबकर मुसलियार का अहम रोल रहा है। इस पूरे मामले में हबीब उमर बिन हाफिज ने तलाल के परिवार से बात की और उन्हें निमिषा प्रिया की फांसी की सजा को माफ करने के लिए कहा था। इस पर परिवार ने फांसी को सजा को टालने में हामी भर दी, लेकिन फांसी की सजा को माफ करने के बारे में कुछ दिनों का समय मांगा है। अब आपको बताते हैं यमन के सूफी विद्वान हबीब उमर बिन हफीज कौन हैं?
कौन हैं सूफी विद्वान हबीब उमर बिन हफीज
शेख हबीब उमर बिन हाफिज यमन के प्रसिद्ध सूफी विद्वान हैं। उन्हें 2025 में दुनियाभर के 500 प्रभावशाली लोगों में दूसरे नंबर पर चुना गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, शेख हबीब उमर बिन हाफिज का जन्म 27 मई 1963 को यमन के तरिम शहर में हुआ था। वह एक इस्लामी विद्वान और शिक्षक हैं। इनके परिवार को पैगंबर मोहम्मद साहब के वंशजों में माना जाता है। बताया जाता है कि इनके पूर्वज पैगंबर के नवाशे हुसैन बिन अली से जुड़े हैं। उनके परिवार को उपनाम हाफिज को उनके परदादा से आया है। इनके परदादा का नाम शेख अबूबकर बिन सलीम था।
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छोटी सी उम्र में कुरान को मुंह जबानी किया याद
बताया जाता है कि शेख हबीब उमर बिन हाफिज बचपन से ही इस्लामी पढ़ाई में जुट गए थे। हबीब उमर बिन हाफिज ने कम उम्र में ही कुरान शरीफ को मुंह जबानी याद कर लिया था। उनके पिता मुहम्मद बिन सलीम हाफिज तरिम के मुफ्ती थे।
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दार अल-मुस्तफा के हैं संस्थापक
शेख हबीब उमर बिन हाफिज एक इस्लामी विद्वान और शिक्षक हैं। शेख को सुन्नी इस्लाम और सूफी परंपरा का पालन करते हैं। वह यमन के तरिम शहर में दार अल अल-मुस्तफा इस्लामी शिक्षण संस्थान के संस्थापक और प्रमुख हैं। इसके अलावा शेख अबू धाबी में तबाह फाउंडेशन की सुप्रीम एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य भी हैं।
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