स्कूलों, कैंटीन, सार्वजनिक जगहों पर खाद्य पदार्थ में कितना तेल-चीनी ये बोर्ड पर लिखना हुआ अनिवार्य, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का बड़ा फैसला

नई दिल्ली। समोसा, जलेबी, पकौड़े, गुलाब जामुन का नाम लेते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है। आधुनिक जीवन शैली में रेस्टोरेंट जाने का चलन भी बढ़ा है। स्वाद के लिए लोग न जाने कहां-कहां चले जाते हैं? ये फैसला स्वाद प्रेमियों को ये खबर झटका दे सकती है। एक ऐसी सलाह, जो हमें ये सोचने पर मजबूर करती है कि क्या खाने से पहले सोचना अब जरूरी हो गया है?

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बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नई पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत अब लड्डू, वड़ा पाव, पकौड़ा, समोसा, जलेबी जैसी चीजों पर “ऑयल और शुगर” की चेतावनी वाले बॉर्ड लगाए जाएंगे। ये बोर्ड चमकीले पोस्टर में होंगे, जो लोगों को यह याद दिलाने का काम करेंगे कि आप जो स्नैक्स खा रहे हैं, उसमें कितनी फैट और शुगर छिपी है। तो क्या हम अपने बचपन के पसंदीदा स्नैक्स के लिए अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं? क्या एक समोसा या एक जलेबी रोज़ ख़ुशी से खा लेना, हमारी सेहत के लिए खतरनाक है?

जानें क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट?

हेल्थ एक्सपर्ट रेवंत हिमतसिंगका बताते हैं कि सिगरेट से तुलना थोड़ा ज्यादा बुरा हो गया। सिगरेट मुश्किल से 5-10 पर्सेंट लोग ही पीते हैं, लेकिन समोसा हर कोई खाता है। इसलिए ज्यादा अच्छा है कि इसको लेकर जागरूकता फैलाई जाए। हालांकि, ये सिगरेट इतना नुकसानदायक नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आप कितना समोसा खा रहे हो? एक समोसा खा रहे या दो, तीन खा रहे हो और कितने दिनों में समोसा खा रहे हो? कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो समोसा के चटनी और कैचअप भी बहुत खाते हैं, जो नुकसान वाली चीज है।

तले और मीठे व्यंजन पहुंचाते हैं नुकसान

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रेवंत हिमतसिंगका कहते हैं कि अगर आप हफ्ते या महीने में एक बार तला हुआ या मीठा खा रहे हैं तो कोई बहुत ज्यादा असर नहीं होगा, लेकिन अगर आप रोज फ्रायड आयटम्स या मीठा खा रहे हो तो एक साल-दो साल में आपके शरीर पर बुरा असर पड़ेगा। डायबिटिज, फैटी लीवर, हार्ट अटैक जैसी बीमारियां इन्हीं सब कारणों की वजह से हो रही हैं।

हफ्ते में अगर एक या दो बार तला या मीठा खाया तो?

हिमतसिंगका बताया कि ये डिपेंड करता है। अगर आप समोसा तो एक बार हफ्ते में खा रहे हो, लेकिन अन्य दिनों में कभी नूडल्स तो कभी पकोड़ा तो कभी पिज्जा तो कभी बर्गर खा रहे हो तो भी ये नुकसान करेगा। आपको ध्यान देना होगा कि 24 घंटे में आप कितना और क्या खा रहे हो? सिर्फ एक आयटम से आप बीमार नहीं पड़ेंगे, लेकिन आपको पूरा डाइट देखना होगा। आप कितनी कैलोरी खा रहे हो?

 देश भर में  होगा लागू

केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कैंटीन, रेस्टोरेंट्स में ट्रांस फैट्स और चीनी के खिलाफ जागरूकता फैलाने वाले बोर्ड्स लगवाने के निर्देश जारी किए हैं। इस योजना की शुरुआत फिलहाल नागपुर के सरकारी संस्थानों में की जा रही है। नागपुर के एम्स अस्पताल को भी इन निर्देशों का पत्र प्राप्त हुआ है। सरकार का मानना है कि अगर लोगों को पहले से यह जानकारी दी जाए कि किसी खाने की चीज में कितनी शुगर या तेल है, तो वो सोच-समझकर निर्णय ले सकेंगे। अगर ये प्रयोग सफल हुआ तो इसे देश भर में लागू किया जा सकता है।

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जानें  ऐसा क्यों कर रही सरकार ?

भारत में, फैटी लीवर, हार्ट अटैक, और डायबिटीज के मामलों की संख्या बहुत अधिक है। विशेष रूप से, मधुमेह रोगियों में फैटी लीवर की समस्या आम है, और भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या बहुत अधिक है, जो 80 मिलियन से अधिक है।

फैटी लीवर

भारत में, लगभग हर तीन वयस्कों में से एक को फैटी लीवर की समस्या होती है।

फैटी लीवर रोग तब होता है, जब आपके यकृत में बहुत अधिक वसा जमा हो जाती है।

मधुमेह रोगियों में फैटी लीवर होने की संभावना अधिक होती है।

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फैटी लीवर के कारण लीवर में सूजन और क्षति हो सकती है।

गंभीर मामलों में, फैटी लीवर सिरोसिस का कारण बन सकता है।

हार्ट अटैक

भारत में, हृदय रोग मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।

हार्ट अटैक तब होता है, जब हृदय को रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है।

मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और उच्च कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाते हैं।

भारत में, हृदय रोग के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

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डायबिटीज 

भारत में, मधुमेह महामारी की स्थिति में है।

भारत में 80 मिलियन से अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हैं।

यह अनुमान है कि 2045 तक यह संख्या 135 मिलियन तक पहुंच जाएगी।

भारत में, मधुमेह से पीड़ित लगभग 57% वयस्कों का निदान नहीं किया जाता है।

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