Tarak Mantra: तारक मंत्र वह दिव्य मंत्र है जिसे मृत्यु के समय स्मरण या श्रवण करने मात्र से प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, राम, ॐ नमः शिवाय और ॐ जैसे मंत्र तारक माने जाते हैं. काशी में मृत्यु को मोक्षदायक इसी कारण माना गया है, क्योंकि वहां स्वयं भगवान शिव जीव के कान में ‘तारक मंत्र’ का उच्चारण करते हैं.
कौन-सा है वो रहस्यमय मंत्र जो मरते समय जीव को मुक्ति देता है? शास्त्रों ने खोला राज!
शिवपुराण, भागवत और रामायण जैसे ग्रंथों में यह रहस्य गहराई से छिपा है कि कुछ मंत्र ऐसे होते हैं जो मृत्यु के समय सुन लिए जाएं तो पुनर्जन्म नहीं होता. इसे कहते हैं, तारक मंत्र, यानी उद्धार करने वाला मंत्र.
काशी में मरना मोक्षदायक क्यों माना जाता है?
क्योंकि वहां शिवजी मरते हुए व्यक्ति के कान में राम नाम का तारक मंत्र स्वयं कहते हैं. यह कोई प्रतीक नहीं, यह शिवपुराण और काशीखंड में प्रमाणित तथ्य है. राम, एक नाम जो मृत्यु के द्वार पर भी जीवन का द्वार खोल देता है
तुलसीदासजी ने कहते हैं-
राम नाम सम हरि कथा न भवसागर कच्छु आउ.
नाम प्रबल बिनु हेतु हर, सुर मुनि मन अति चाउ..
शिवजी स्वयं कहते हैं…
राम नाम तारक मंत्र है, यानि जो अंतिम समय में भी इसका स्मरण कर ले, वह भवसागर से पार हो जाता है.
शिव भक्तों के लिए तारक मंत्र, ओम नमः शिवाय का दिव्य रहस्य ‘ॐ नमः शिवाय’, यह केवल पंचाक्षरी मंत्र नहीं, बल्कि शिव का साक्षात ब्रह्मरूप है. काशी या मृत्यु के समय इस मंत्र का श्रवण, जप या स्मरण जीवन भर के कर्मों को क्षमा करा देता है.
शिवो भूत्वा शिवं यजेत्, मृत्यु में शिव ही मुक्ति के द्वारपाल हैं. उपनिषदों का ब्रह्मवाक्य, ॐ ही है परम तारक मंत्र माण्डूक्य उपनिषद और गीता में स्पष्ट कहा गया है-
ॐ इत्येकाक्षरं ब्रह्म…यानि जो मृत्यु के समय ‘ॐ’ का जप करता है, वह ब्रह्म में विलीन हो जाता है.
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काशी-मरण तंत्र का गुप्त रहस्य काशी में शव को चिता पर ले जाते समय ‘राम नाम सत्य है’ का उद्घोष होता है. लेकिन शास्त्र कहते हैं, काशी में मृत्यु के समय शिवजी स्वयं जीव के कान में राम नाम का तारक मंत्र फूंकते हैं. इसलिए कहा जाता है, काश्यां मरणं मुक्तिः, काशी में मरना ही मुक्ति है.
किन मंत्रों को शास्त्रों ने तारक माना है?
मंत्र | परंपरा | प्रमाण ग्रंथ | प्रभाव |
राम नाम | भक्ति | रामचरितमानस, शिवपुराण | सर्वोच्च तारक |
ॐ नमः शिवाय | शैव | शिवपुराण, यजुर्वेद | मृत्यु में उद्धार |
ॐ (प्रणव) | वेदांत | माण्डूक्य उपनिषद, गीता | ब्रह्म में लीनता |
ॐ नमो नारायणाय | वैष्णव | नारायण उपनिषद | नारायणपद प्राप्ति |
क्या करें ताकि मृत्यु के समय ‘तारक मंत्र’ का स्मरण हो?
उपाय
- नित्य जप करें , जिससे अंत में स्वाभाविक स्मरण हो
- गुरु दीक्षा लें , शास्त्रों के अनुसार
- काशी या मोक्ष तीर्थ में वास करें
- राम नाम कीर्तन, साधना करें
तारक मंत्र कोई साधारण ध्वनि नहीं, बल्कि ईश्वर का ब्रह्मस्वरूप है. जो मृत्यु के अंतिम क्षणों में भी स्मरण या श्रवण कर ले, उसे यम के लोकों से मुक्त कर सीधा ब्रह्म में प्रवेश मिल सकता है. इसलिए कहा गया, नाम सुमिरिन जीव तर जाये, भवसागर सागर सुख उपजाये.
FAQs
Q1. क्या हर व्यक्ति को तारक मंत्र का लाभ मिल सकता है?
हाँ, यदि वह श्रद्धा, जप और गुरु मार्ग से इसे अपनाए.
Q2. मृत्यु के समय अगर मंत्र याद न आए तो?
यदि जीवन में जप किया गया हो, तो कर्म-संस्कार से अंतिम क्षण में स्मरण या गुरु कृपा से श्रवण संभव होता है.
Q3. क्या किसी विशेष धर्म या जाति के लिए ही यह मान्य है?
नहीं, यह मंत्र समस्त मानवता के लिए है, केवल श्रद्धा, विश्वास और अभ्यास चाहिए.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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