शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों को महंगाई के आंकड़े से Happy होना चाहिए या Sad? परत दर परत समझिए डीटेल जून में खुदरा महंगाई दर 2.1% पर आ गई है, जो पिछले साढ़े छह सालों में सबसे कम है. खाद्य और ईंधन कीमतों में गिरावट के कारण यह राहत आई है. इससे बाजार में तेजी आई है और ब्याज दरों में कटौती की संभावना भी बढ़ गई है. ऐसे में अगर आप निवेश के लिए सोच रहे हैं तो आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

देश की अर्थव्यवस्था के लिए जून का महीना राहत लेकर आया है. खुदरा महंगाई दर (CPI) घटकर सिर्फ 2.1% रह गई है, जो पिछले साढ़े छह सालों में सबसे कम है. इसके साथ ही थोक महंगाई दर (WPI) भी -0.13% पर चली गई है, यानी देश ने तकनीकी रूप से डिफ्लेशन का सामना किया है. इस गिरावट का मुख्य कारण खाद्य और ईंधन उत्पादों की कीमतों में कमी है.

शेयर बाजार की प्रतिक्रिया

महंगाई के ये आंकड़े आते ही शेयर बाजार में पॉजिटिव हलचल देखी गई. सेंसेक्स 300 अंक से ज्यादा की तेजी के साथ कारोबार करता नजर आया. निवेशकों को भरोसा है कि अगर महंगाई इतनी कम रही तो रिजर्व बैंक (RBI) ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. इससे कॉर्पोरेट सेक्टर की फंडिंग लागत घटेगी और कंजम्प्शन सेक्टर में मांग बढ़ेगी. इक्विटी और बॉन्ड दोनों बाजारों में तेजी देखी गई है. हालांकि पहली तिमाही के नतीजे भी मार्केट की दिशा तय करने में अपनी भूमिका निभाएंगे. मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने भी राय दी है कि निवेशकों को तिमाही रिजल्ट के बेहतर की उम्मीद पर खरीदारी करनी चाहिए. 

क्या RBI ब्याज दर घटाएगा?

Morgan Stanley ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अब FY26 के लिए महंगाई दर का अनुमान 3.5% से घटाकर 3% कर दिया गया है. साथ ही यह उम्मीद जताई है कि RBI दिसंबर 2025 में 0.25% की एक और कटौती कर सकता है. हालांकि अगस्त की मीटिंग में RBI शायद कोई बदलाव न करे क्योंकि जून में पहले ही नीतिगत कदम उठाए जा चुके हैं.

आम आदमी को क्या फायदा?

खुदरा महंगाई में गिरावट सीधे-सीधे आम लोगों की जेब पर असर डालती है. खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से घरेलू बजट को राहत मिलती है. अगर आगे चलकर ब्याज दरें भी घटती हैं तो होम लोन और कार लोन सस्ते होंगे. इससे उपभोग बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी. Savart के PMS प्रेसिडेंट वेंकट मूर्ति का कहना है कि यह डेटा बाजार के लिए नई उम्मीद लेकर आया है. उनके मुताबिक, महंगाई के इतने नीचे जाने से ब्याज दरों में कटौती की जगह बनती है, जिससे बाजार में लिक्विडिटी बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलेगा. 

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