बीजिंग में जयशंकर बोले- भारत और चीन के संबंध दुनिया के लिए अहम, वांग यी से मुलाकात में क्या हुई बातचीत?

भारत-चीन के बीच 2000 में गलवान घाटी में हुई हिंसा के 5 साल बाद पहली बार चीन पहुंचे भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सोमवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद को लेकर भारत का रुख साफ किया। चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन पहुंचे जयशंकर ने कहा है भारत आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति रखता है और चीन से भी ऐसी ही उम्मीद करता है।

‘दोनों देशों के बीच स्थिर संबंधों से पूरी दुनिया को लाभ’

उन्होंने यह भी कहा है कि दोनों देशों के बीच स्थिर संबंधों से पूरी दुनिया को लाभ होगा। दोनों की बैठक का मुख्य फोकस सैनिकों की वापसी में तेजी लाने, सीमा पर शांति बहाल करने और व्यापार और लोगों से लोगों तक कनेक्शन को पुनर्जीवित करने पर रहा। जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री से कहा कि दोनों देशों के संबंध धीरे-धीरे सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत का जोर तनाव कम करने पर है।

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उन्होंने कहा, हमारे संबंधों के कई पहलू और आयाम हैं, क्योंकि हम पड़ोसी देश हैं और प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं भी। लोगों के बीच संपर्क को सामान्य बनाने की दिशा में उठाए गए कदम आपसी सहयोग को बढ़ा सकते हैं। इस संदर्भ में यह भी जरूरी है कि व्यापार में बाधाएं और प्रतिबंध जैसे कदम न उठाए जाएं। जयशंकर ने कहा, ‘हम पहले भी सहमत हो चुके हैं कि मतभेदों को विवाद और प्रतिस्पर्धा को कभी भी संघर्ष नहीं बनने देना चाहिए। इसी आधार पर हम अपने संबंधों को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।’

एस जयशंकर ने क्या कहा?

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक के दौरान उद्घाटन भाषण में कहा कि ‘आज की हमारी बैठक में वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान भी शामिल होगा। कल, हम एससीओ के प्रारूप में बैठक करेंगे, जिसका प्राथमिक उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करना है। यह एक साझा चिंता का विषय है और भारत को उम्मीद है कि आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को दृढ़ता से बरकरार रखा जाएगा।’

उन्होंने कहा कि ‘विदेश मंत्री के रूप में आप लंबे समय से हमारे समग्र द्विपक्षीय संबंधों के लिए जिम्मेदार रहे हैं। मुझे इस गहन परिवर्तन के दौर में हमारे संबंधों की स्थिति पर इस गहन चर्चा से खुशी हो रही है। मैं विचारों के रचनात्मक और दूरदर्शी आदान-प्रदान की आशा करता हूं।’

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‘भारत-चीन संबंध सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे’

इससे पहले विदेश मंत्री ने कहा, ‘मैं चीनी पक्ष को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की सफल अध्यक्षता के लिए शुभकामनाएं देता हूं। हम कल बैठक करेंगे और भारत अच्छे परिणाम और निर्णय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने संबंधों के प्रति दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाएं। अक्टूबर 2024 में कजान में हमारे नेताओं की बैठक के बाद से भारत-चीन संबंध धीरे-धीरे सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

हमारी जिम्मेदारी इस गति को बनाए रखना है। हाल के दिनों में, हम दोनों को अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में मिलने और रणनीतिक संचार करने के कई अवसर मिले हैं। हमारी आशा है कि अब यह नियमित होगा और एक-दूसरे के देशों में होगा। इस वर्ष, हम अपने देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। हम इस बात की सराहना करते हैं कि 5 वर्षों के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा भी फिर से शुरू हो गई है। मैं इस मामले में चीनी पक्ष के सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त करता हूं।’

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