Hanuman Chalisa: हनुमान जी को कलयुग का देवता कहा जाता है. उनकी कृपा पाने का सबसे सरल और प्रभावी उपाय ‘हनुमान चालीसा’ है. गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा की 40 चौपाइयां हनुमान जी की वीरता, भक्ति और उनका राम जी के प्रति समर्पण का प्रतीक है.
आज हम जानेंगे हनुमान चालीसा पाठ के नियम, पौराणिक कथा और इससे मिलने वाले लाभ के बारे में.
हनुमान चालीसा पौराणिक कथा
हनुमान चालीसा का नियमित रूप से पाठ करना शुभ माना जाता है. ऐसा करने से तमाम तरह की बाधाएं और समस्याएं दूर होती चली जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास जी ने मुगल शासक अकबर की कैद में रहकर हनुमान चालीसा की रचना की थी.
मान्यताओं के मुताबिक जेल में हनुमान चालीसा पाठ के प्रभाव से हजारों की संख्या में बंदरों ने अकबर के दरबार में जमकर उत्पात मचाया, जिसके बाद गोस्वामी तुलसीदास जी को रिहा कर दिया गया. यह चमत्कारी घटना हनुमान जी की कृपा का साक्षात प्रमाण मानी जाती है.
हनुमान चालीसा के नियमित पाठ से होने वाले फायदे
- जो भी हनुमान चालीसा का नियमित रूप से पाठ करता है, उसकी समस्त परेशानियां खत्म हो जाती है. इसके साथ ही हनुमान जी हर संकट से रक्षा करते हैं.
- नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है.
- हनुमान चालीसा का पाठ करने से मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का आशीर्वाद मिलता है.
- मंगलवार और शनिवार के दिन सुबह या रात के समय हनुमान चालीसा का पाठ करने से एकाग्रता में वृद्धि होती है.
हनुमान चालीसा पाठ के नियम
- स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें.
- शांत वातावरण में पाठ करना शुभ माना जाता है.
- पाठ के दौरान ध्यान न भटकने दें.
- हनुमान चालीसा पाठ पूरा करने के बाद ही आसान से उठें.
- पाठ करने से पहले हनुमान जी को लाल फूल, दीपक और गुड़ चने का प्रसाद चढ़ाएं.
हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन में शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. श्रद्धा और नियमपूर्वक पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इसके साथ ही जीवन में आने वाले संकट भी दूर होते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
Read More at www.abplive.com