
सामर्थ्यनुसार भंडारा कराते हैं या अन्न का दान करते हैं तो आप धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक लाभ के भागीदार बनेंगे. साथ ही इस पुण्य कार्य से आपको शिवजी का आशीर्वाद भी मिलेगा.

भंडारा कराने को शास्त्रों में पुण्य का कार्य माना गया है. खासकर सावन माह में भंडारा कराना कई गुना पुण्यकारी होता है. इस पवित्र माह में भंडारा कराने से दान और सेवा का भाव जागृत होता है, जिससे आत्मिक शांति प्राप्त होता है.

सावन में आप पूजा-पाठ के बाद भंडारे का आयोजन करा सकते हैं. इससे शिव प्रसन्न होंगे और सभी कार्यों में सफलता मिलेगी. भंडारा ऐसा आयोजन होता है, जिससे पुण्य फल से कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती.

पौराणिक कथा के अनुसार, विदर्भ के राजा स्वेत जब परलोक गए तो उन्हें बहुत भूख लगी. लेकिन खाने को कुछ नहीं मिला. उन्होंने ब्रह्मदेव से पूछा कि, उन्हें भोजन क्यों नहीं दिया जा रहा. तब ब्रह्मदेव ने कहा कि आपने अपने जीवन में कभी अन्न का दान किया ही नहीं.

इसके बाद राजा स्वेत ने अपने वंश को सपने में आकर अन्न का दान करने को कहा. मान्यता है कि इसके बाद से ही भंडारे की शुरुआत हुई. इसलिए हर व्यक्ति को अपने जीवन में सामार्थ्य अनुसार अन्न का दान या भंडारा जरूर कराना चाहिए.

भंडारा जैसे कार्यों से मन स्थिर रहता है और भक्ति भाव प्रबल होते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि भंडारा या भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.

भंडारा में सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोग एक साथ एक जैसा भोजन ग्रहण करते हैं, जोकि समाज में समानता, समरसता और एकता के भाव का संदेश भी देता है.
Published at : 14 Jul 2025 05:00 AM (IST)
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