Daak Kanwar Yatra: सावन महीने में क्यों निकाली जाती है डाक कांवड़ यात्रा? जानें नियम और महत्व के बारे में

Daak Kanwar Yatra: श्रावण मास के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है. इस पवित्र महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए देशभर में लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा निकालते हैं. इस कांवड़ यात्रा में एक विशेष तरह की परंपरा भी निभाई जाती है, जिसे ‘डाक कांवड़’ कहते हैं. 

यह कांवड़ यात्रा सामान्य कांवड़ यात्रा से बिलकुल अलग होती है. डाक कांवड़ यात्रा को इसकी प्रक्रिया, नियम और समयबद्धता अलग बनाती है. 

डाक कांवड़ यात्रा क्या होती है? 
डाक कांवड़ एक गतिशील और श्रद्धा से भरी यात्रा होती है, जिसमें शिव के भक्त कांवड़ लेकर तेज गति से चलते हैं, वो भी बिना रुके. ऐसा इसलिए क्योंकि कांवड़ में भरा गंगाजल तय समय पर शिवलिंग पर चढ़ाना होता है. इसलिए इसे डाक कांवड़ कहा जाता है.

जैसे डाक (चिट्ठी) का तय समय पर पहुंचना अनिवार्य होता है, वैसे ही इस कांवड़ में भरा गंगाजल तय समय पर शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है. 

डाक कांवड़ की विशेषताएं और नियम

  • डाक कांवड़ में जल भरने के बाद विश्राम नहीं किया जाता है. 
  • इस दौरान शिव भक्त तेज गति से चलते और दौड़ते हैं. 
  • डाक कांवड़ में जल भरने से लेकर ले जाने तक का काम नंगे पैर किया जाता है. 
  • डाक कांवड़ के लिए गंगाजल लेने कांवड़िए हरिद्वार, गंगोत्री और गढ़मुक्तेश्वर जैसे पवित्र स्थलों पर जाते हैं. 
  • जल भरने के बाद उन्हें बिना रुके सीधे और शुद्धता के साथ अपने क्षेत्र के शिव मंदिर पर चढ़ाना होता है. 

शिवपुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्रावण मास के पवित्र महीने में भगवान शिव को शुद्ध गंगाजल से स्नान कराने पर सभी तरह के दोषों से छुटकारा मिल जाता है. इसके साथ उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

डाक कांवड़ इसी परंपरा का पालन करती है, जिसमें समय को महत्व देते हुए शुद्ध गंगाजल जल्द से जल्द भगवान शिव को अर्पित किया जाता है. 

श्रद्धा और समर्पण का अटूट प्रतीक 
हरिद्वार और उत्तर प्रदेश जैसे इलाकों में स्थानीय पुलिस और प्रशासन डाक कांवड़ यात्रा के लिए अलग से मार्ग निर्धारित करती है, ताकि डाक कांवड़िए बिना किसी रुकावट के यात्रा कर सकें. 

श्रावण मास में डाक कांवड़ श्रद्धा, समर्पण और अनुशासन का एक सटीक उदाहरण हैं. यह मात्र एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि भगवान शिव के प्रति भक्तों की अटूट आस्था और अनुशासन का भी प्रतीक है. यदि डाक कांवड़ यात्रा सच्ची श्रद्धा और नियमपूर्वक किया जाए तो जीवन में आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 

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