Chandi Path: दुर्गा सप्तशती पाठ शक्तिशाली मंत्रों से पाएं मां दुर्गा का आशीर्वाद! जानें सही विधि और लाभ

Durga saptashati: दुर्गा सप्तशती ये सिर्फ एक ग्रंथ ही नहीं, बल्कि मां दुर्गा का साक्षात स्वरूप भी है. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार इस ग्रंथ के रचयिता वेदव्यास जी हैं. दुर्गा सप्तशती ग्रंथ में 13 अध्याय और 700 श्लोक वर्णित है.

ये ग्रंथ इतना शक्तिशाली है कि इसे पढ़ने से पहले इसकी पूजा करना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं दुर्गा सप्तशती ग्रंथ से जुड़ी अहम बातें.

दुर्गा सप्तशती पढ़ते समय रखें इन बातों का ध्यान
दुर्गा सप्तशती पाठ करने से पहले पवित्रता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इस ग्रंथ को पढ़ने से पहले तिलक और पुष्पांजलि करना चाहिए. फिर इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करते हुए इसे पढ़ना शुरू करें. इस ग्रंथ को उत्तर से पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही पढ़ना चाहिए.

जिन लोगों को दुर्गा सप्तशती का पाठ पढ़ने नहीं आता है, वो इसे सुन भी सकते हैं, इसे सुनने से भी मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वहीं पहले दिन दुर्गा सप्तशती ग्रंथ की शुरुआत आप कीलकम्, अर्गला स्तोत्रम और देवी कवचकम से करना चाहिए.

किस दिन कौन-सा पाठ करें?
दूसरे दिन अध्याय दो और तीन का पाठ करें. तीसरे दिन अध्याय चार का पाठ करें. चौथे दिन अध्याय पांच, छह, सात और आठ का पाठ करें. पांचवें दिन नौवें अध्याय का पाठ करें. छठे दिन ग्यारहवां अध्याय और सातवें दिन बारहवें और तेरहवें अध्याय का पाठ करें.

हर अध्याय पढ़ने के बाद आपको सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम का पाठ जरूर करें. आखिरी दिन पाठ पढ़ने के बाद क्षमा प्रार्थना का पाठ पढ़ें.

प्रत्येक पाठ में मां दुर्गा की ऊर्जा समाहित
दुर्गा स्तोत्रम का पाठ आप हफ्ते में तीन दिन भी कर सकते हैं. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ करने की विधि अलग होती है. नवरात्रि में इस ग्रंथ का पाठ करने से पहले आपको विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, नहीं तो मां दुर्गा अपने नाराज भी हो सकती है.

दुर्गा सप्तशती ग्रंथ अपने आप में देवी मां का स्वरूप है. आप मां की उपस्थिति ग्रंथ में वर्णित श्लोकों महसूस कर सकते हैं. मार्कण्डेय पुराण का ये ग्रंथ चंडी पाठ के नाम से भी जाना जाता है, इसके प्रत्येक अक्षर में मां की ऊर्जा समाहित है.

आप इस पाठ का अनुसरण नियमित या साप्ताहिक रूप से भी कर सकते हैं. और तो और मंगलवार, शुक्रवार और शनिवार के दिन दुर्गा सप्तशती पाठ का अभ्यास करना शुभ माना जाता है. नवरात्रि के दौरान पाठ को पढ़ने की विधि थोड़ी अलग है.

पहला दिन अध्याय 1 में

  • देवी कवचम
  • अर्गला स्तोत्रम
  • कीलकम्

दूसरे दिन

  • अध्याय दो, तीन और चार

तीसरे दिन

  • अध्याय 5 और 6

चौथे दिन

पांचवें दिन

छठे दिन

  • अध्याय 9 और 10

सातवें दिन

आठवें दिन

नौवें दिन

  • अध्याय 13 और देवी अपराध क्षमा स्तोत्रम का पाठ 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 

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