Love Marriage: ज्योतिष के अनुसार कुंडली में पंचम भाव, सप्तम भाव, शुक्र, चंद्रमा और राहु की स्थिति यह संकेत देती है कि व्यक्ति की लव मैरिज होगी या अरेंज. यदि ये ग्रह आपस में विशेष संबंध बनाएं, तो प्रेम विवाह की प्रबल संभावना होती है, विशेषकर जब पंचम और सप्तम भाव जुड़ते हैं.
कैसे जानें आपकी कुंडली में लव मैरिज के योग हैं या नहीं? प्रमाणिक ज्योतिषीय सूत्र और रहस्य से समझें
कुंडली में किन भावों और ग्रहों से जुड़ा होता है लव मैरिज का संकेत?
- पंचम भाव (5th House) – प्रेम, आकर्षण और रोमांस का भाव है.
- सप्तम भाव (7th House) – विवाह, जीवनसाथी और संबंधों का भाव होता है.
- नवम भाव (9th House) – सामाजिक और पारंपरिक व्यवस्था दर्शाता है.
- शुक्र (Venus) – प्रेम, आकर्षण, शारीरिक सुख का कारक ग्रह.
- चंद्रमा (Moon) – भावनात्मक जुड़ाव और मन की प्रवृत्ति.
- राहु (Rahu) – सामाजिक बंधनों को तोड़ने और अंतरजातीय विवाह का संकेतक.
लव मैरिज के मुख्य योग कौन-से होते हैं?
कुंडली में यदि ये योग मिलें तो प्रेम विवाह की प्रबल संभावना बनती है, कुंडली में छिपे 7 प्रामाणिक योग Classical Love Marriage Indicators in Vedic Astrology-
- पंचम और सप्तम भाव का आपसी संबंध (पंचमेश सप्तम भाव में)
- यदा पंचमे सप्तमे च सम्बन्धो जायते, तदा कामयुक्तं विवाहं दर्शयति.
- शुक्र-राहु की युति या दृष्टि, खासकर लग्न या सप्तम में.
- चंद्रमा-शुक्र का मेल पंचम,सप्तम में, भावुक प्रेम का सूचक.
- राहु पंचम या सप्तम में सामाजिक बंधनों को तोड़ प्रेम विवाह की ओर ले जाता है.
- लग्नेश और सप्तमेश का संबंध यदि यह संबंध पंचम भाव से जुड़ जाए तो प्रेम से विवाह का रूप.
- ग्रहों का नीचभंग योग पारंपरिक विरोध के बावजूद संबंधों की स्थिरता.
- शनि की दृष्टि या सहभागिता न हो वरना प्रेम संबंध टूट सकते हैं.
जातक की मानसिकता और लव मैरिज के फैसले, चंद्रमा और शुक्र से कैसे जानें?
- चंद्रमा मिथुन, तुला, कुंभ या मीन में हो तो व्यक्ति भावुक, प्रेमप्रिय होता है.
- शुक्र यदि उच्च राशि में हो (मीन) या पंचम,सप्तम में हो तो प्रेम में आकर्षण बढ़ता है.
- शुक्र और चंद्रमा यदि राहु के प्रभाव में हों तो जातक सामाजिक परवाह किए बिना प्रेम विवाह कर सकता है.
लग्न और राशि विशेष प्रभाव, किन जातकों में अधिक होते हैं प्रेम विवाह के योग?
लग्न व राशि | प्रेम विवाह की प्रवृत्ति |
मेष | बिना सोचे-समझे या परिणामों पर विचार किए बिना प्रेम, जल्द विवाह की प्रवृत्ति |
मिथुन | संवादप्रिय, लव मैरिज की प्रबल संभावना |
तुला | रोमांटिक, परिपक्व निर्णय की क्षमता |
कुंभ | समाज से हटकर सोच, अंतरजातीय विवाह |
लव मैरिज के योग की पुष्टि कैसे करें? दशा और गोचर का विश्लेषण करें
- दशा-अंतर्दशा में शुक्र, राहु, पंचमेश या सप्तमेश आएं.
- गोचर में गुरु या शुक्र पंचम-सप्तम को दृष्टि दें.
- विवाह योग के समय राहु,शुक्र के प्रभाव हों.
यदि लव मैरिज के योग न हों तो क्या करें?
- गुरुवार का व्रत और गुरु बीज मंत्र का जाप करें.
- शुक्रवार को मां लक्ष्मी और मां दुर्गा की उपासना करें.
- ॐ क्लीं कामदेवाय नमः का 108 बार जाप करें.
- शुक्रवार को सफेद मिठाई दान करें.
लव मैरिज में रुकावट के संकेत, शनि, मंगल और नवम भाव की भूमिका
- शनि की सप्तम या पंचम पर दृष्टि, सामाजिक बंधन या विलंब
- मंगल दोष, असहमति या पारिवारिक विरोध
- नवम भाव में राहु, जाति-विरोध, अंतरधार्मिक संघर्ष
कुंडली में लव मैरिज के योग कोई कल्पना नहीं, बल्कि विशुद्ध ग्रह-भाव विश्लेषण पर आधारित संकेत होते हैं. यदि आपकी कुंडली में पंचम-सप्तम भाव और शुक्र-राहु का जुड़ाव है, तो प्रेम विवाह संभव है. लेकिन हर कुंडली अद्वितीय होती है, इसलिए विशेषज्ञ से मिलकर दशा और गोचर का विश्लेषण जरूरी है.
FAQs:
Q1. क्या सिर्फ पंचम भाव देखकर प्रेम विवाह तय किया जा सकता है?
नहीं, पंचम भाव के साथ सप्तम, लग्न और दशा का विश्लेषण आवश्यक है.
Q2. क्या लव मैरिज वाले लोग हमेशा राहु से प्रभावित होते हैं?
राहु संकेत देता है, लेकिन अकेले राहु पर्याप्त नहीं है, शुक्र, चंद्रमा और भावों की स्थिति ज़रूरी है.
Q3. प्रेम विवाह में रुकावट का सबसे बड़ा ग्रह कौन है?
शनि, खासकर जब वह सप्तम या नवम को देखता हो.
Q4. क्या उपायों से लव मैरिज संभव हो सकती है?
यदि योग कमजोर हैं तो उचित उपायों से भाग्य को थोड़ा मोड़ा जा सकता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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