मार्केट रेगुलेटर सेबी ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (CRA) के लिए नियमों में बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा है. इस बदलाव का मकसद क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के काम के दायरे को विस्तार देना है. इस योजना को आगे बढ़ाते हुए सेबी ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसी रेगुलेशन्स 1999 में बदलाव के लिए एक ड्राफ्ट को जारी किया है. इस ड्राफ्ट पर आम जानता और संबंधित स्टेकहोल्डर्स के सुझाव मांगे हैं. सेबी के इस ड्राफ्ट पर 30 जुलाई 2025 तक सुझाव दिए जा सकते हैं.
केवल इन सिक्युरिटीज की रेटिंग कर सकती है एजेंसियां
मौजूदा समय में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां केवल उन्हीं सिक्युरिटीज की रेटिंग कर सकती थीं जो या तो लिस्टेड हैं या फिर निकट भविष्य में लिस्ट होने जा रही है. बाजार और इंडस्ट्री की तरफ से सेबी से यह मांग लगातार उठ रही थी कि CRA को उन फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स की रेटिंग करने की इजाजत दी जाए, तो दूसरे रेगुलेटरी बॉडी जैसे RBI या IRDAI के दायरे में आते हैं, भले ही वहां पर रेटिंग को लेकर कोई भी साफ दिशानिर्देश न हों. सेबी ने यह छूट देने का प्रस्ताव दिया है. हालांकि, पारदर्शिता और कंफ्लिक्ट ऑफ इंट्रस्ट से बचने के लिए ये छूट 12 कड़ी शर्तों के साथ मिलेगी.
बनानी होगी अलग बिजनेस यूनिट
सेबी द्वारा प्रस्तावित नियमों के तहत इन नए काम के लिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को अलग बिजनेस यूनिट (SBU) बनानी होगी. सेबी के तहत आने वाली और दूसरी गतिविधियों के बीच साफ बंटवारा करना जरूरी होगी. गैर-सेबी गतिविधियों के लिए अलग स्टाफ, रिकॉर्ड और शिकायत दर्ज करने का एक सिस्टम बनाया जाएगा. CRA को अपनी वेबसाइट और रेटिंग रिपोर्ट में यह साफ-साफ बताना होगा कि इन रेटिंग्स पर सेबी का प्रोटेक्शन लागू होगा या नहीं. साथ ही, इन नई गतिविधियों से कंपनी की नेट वर्थ को सुरक्षित रखा जाएगा.
लिखित में लेनी होगी सहमति
सेबी के प्रस्ताव के मुताबिक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी को रेटिंग करवाने वाले अपने सभी क्लाइंट्स से पहले लिखित में सहमति लेनी होगी. नियमों को आखिरी रूप दिए जाने के बाद सभी क्रेडिट एजेंसियों को इन नियमों को लागू करने के लिए 6 महीने का वक्त दिया जाएगा. इन नियमों का मकसद क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को ज्यादा आजादी देने के साथ-साथ निवेशकों के हितों की रक्षा करना भी है.
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