<p style="text-align: justify;"><strong>AI Agent:</strong> अब तक माना जाता था कि किसी भी कंपनी की साइबर सुरक्षा में सबसे कमजोर कड़ी इंसान होते हैं लेकिन एक नई रिपोर्ट इस धारणा को बदल रही है. साइबर सुरक्षा कंपनी SquareX की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, ब्राउज़र में इस्तेमाल होने वाले AI एजेंट्स अब मानव कर्मचारियों से भी अधिक जोखिम भरे साबित हो रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">TechRadar के मुताबिक, ये AI आधारित ब्राउज़र एजेंट्स जिन्हें पहले रूटीन ऑनलाइन कामों को आसान और तेज़ बनाने के लिए सराहा जा रहा था, अब हैकर्स के लिए आसान शिकार बनते जा रहे हैं. SquareX के सीईओ विवेक रामचंद्रन के अनुसार, "ये एजेंट्स अपने कार्यों को तो पूरी दक्षता से करते हैं लेकिन किसी भी खतरे को पहचानने की क्षमता इनमें नहीं होती."</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>AI एजेंट्स बन रहे खतरा</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">जहां इंसानों को समय-समय पर साइबर सिक्योरिटी की ट्रेनिंग मिलती है और वे संदिग्ध लिंक या फिशिंग हमलों को पहचानने में सक्षम होते हैं, वहीं AI एजेंट्स बिना किसी सवाल के वेबसाइट या एप्लिकेशन से इंटरैक्ट कर लेते हैं. एक डेमो में SquareX ने दिखाया कि कैसे एक AI एजेंट को एक सामान्य फाइल शेयरिंग सेवा में साइन अप करने को कहा गया लेकिन उसने अनजाने में एक मालिशियस ऐप को एक्सेस दे दिया. एक अन्य केस में वही एजेंट एक फिशिंग वेबसाइट को असली Salesforce लॉगिन पेज समझकर उसमें लॉगिन डिटेल्स भर बैठा.</p>
<p style="text-align: justify;">चिंता की बात यह है कि ये AI एजेंट्स उसी तरह के एक्सेस राइट्स रखते हैं जैसे सामान्य यूज़र, जिससे हैकर्स को पूरे सिस्टम तक बिना अलार्म ट्रिगर हुए पहुंच मिल सकती है. पारंपरिक सुरक्षा सिस्टम जैसे एंडपॉइंट प्रोटेक्शन या ज़ीरो ट्रस्ट नेटवर्क एक्सेस (ZTNA) भी इस नए खतरे से निपटने में नाकाम नजर आ रहे हैं.</p>
<h2 style="text-align: justify;"><strong>तुरंत बदल लेनी चाहिए सेटिंग</strong></h2>
<p style="text-align: justify;">SquareX ने सलाह दी है कि कंपनियों को ब्राउज़र-नेटिव सिक्योरिटी सॉल्यूशन्स जैसे "ब्राउज़र डिटेक्शन एंड रिस्पॉन्स" (BDR) अपनाने चाहिए ताकि AI एजेंट्स की गतिविधियों पर तुरंत निगरानी रखी जा सके. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जब तक बड़े ब्राउज़र खुद AI ऑटोमेशन के लिए बिल्ट-इन सुरक्षा उपाय नहीं लाते, तब तक अलग से निगरानी तंत्र बनाना बेहद ज़रूरी है.</p>
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