SEBI Study: इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट पर सेबी (SEBI) की नई रिपोर्ट में सामने आया है कि रिटेल इन्वेस्टर्स का फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग को लेकर जोश थोड़ा ठंडा पड़ने लगा है। इसका कारण हालिया रेगुलेटरी कदम हैं। लेकिन, इसके बावजूद छोटे निवेशकों को होने वाला नुकसान अब भी खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। न सिर्फ रकम के हिसाब से बल्कि इसकी फ्रीक्वेंसी के आधार पर भी।
₹1.06 लाख करोड़ का नुकसान
सेबी की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में इंडिविजुअल ट्रेडर्स का कुल शुद्ध नुकसान 41% बढ़कर ₹1.06 लाख करोड़ पर पहुंच गया। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह ₹74,812 करोड़ था। ये आंकड़े ट्रांजैक्शन कॉस्ट को एडजस्ट करने के बाद के हैं। हर व्यक्ति का औसतन नुकसान भी बढ़कर ₹1.1 लाख हो गया, जो पिछले साल ₹86,728 था।
निवेशकों की संख्या घटी
FY25 में F&O ट्रेडिंग करने वाले यूनिक रिटेल इन्वेस्टर्स की संख्या सालाना आधार पर 20% घटी है। हालांकि, दो साल पहले की तुलना में अब भी यह 24% ज्यादा है। वहीं, प्रीमियम टर्म्स में रिटेल टर्नओवर 11% घटा, लेकिन दो सालों में 36% की बढ़त दर्ज की गई।
इंडेक्स ऑप्शंस में भी गिरावट
F&O सेगमेंट में इंडेक्स ऑप्शंस का बोलबाला है, लेकिन FY25 में इसमें भी सुस्ती देखी गई। प्रीमियम टर्नओवर 9% और नॉशनल टर्नओवर 29% घटा है। हालांकि, दो साल पहले की तुलना में प्रीमियम टर्नओवर अब भी 14% और नॉशनल वॉल्यूम 42% ऊंचा है।
91% रिटेल ट्रेडर्स को हुआ नुकसान
सेबी ने दोहराया कि FY25 में F&O सेगमेंट में ट्रेडिंग करने वाले 91% व्यक्तिगत निवेशकों को शुद्ध नुकसान हुआ। इससे यह साफ होता है कि इस मार्केट सेगमेंट में अभी भी गंभीर जोखिम मौजूद हैं। सेबी ने कहा कि वह इंडेक्स ऑप्शंस में टर्नओवर के ट्रेंड पर लगातार नजर रखेगा ताकि निवेशकों की सुरक्षा और बाजार की स्थिरता बनी रहे।
4 साल में ₹2.87 लाख करोड़ का लॉस
FY22 से FY25 के बीच इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स ने डेरिवेटिव मार्केट में मिलाकर करीब ₹2.87 लाख करोड़ गंवा दिए हैं। FY22 में नुकसान ₹40,824 करोड़, FY23 में ₹65,747 करोड़, FY24 में ₹74,812 करोड़ और FY25 में ₹1,05,603 करोड़ तक पहुंच गया। ये आंकड़े इस सेगमेंट में लगातार बनी गंभीर वित्तीय चुनौतियों की ओर इशारा करते हैं, खासकर रिटेल निवेशकों के लिए।
यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है जब सेबी रिटेल निवेशकों को सुरक्षा देने के लिए F&O मार्केट में कई नए नियम और निगरानी सिस्टम लागू करने की दिशा में काम कर रहा है। हालांकि, इस बाजार में वित्तीय जागरूकता और रिस्क कंट्रोल अब भी काफी असमान है। इसका खामियाजा रिटेल ट्रेडर्स को उठाना पड़ता है।
Read More at hindi.moneycontrol.com