Trump BRICS tariff threat: ब्रिक्स समिट 2025 का आयोजन ब्राजील में हुआ है। इस समिट के दौरान पीएम मोदी ने दुनिया को कई बड़े संदेश दिए। इस बीच अमेरिका ब्रिक्स को मिल रहे सपोर्ट से बौखला गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि जो भी ब्रिक्स देश अमेरिका के खिलाफ नीति का समर्थन करेंगे हम उन पर 10 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ लगाएंगे। ऐसे में क्या इस धमकी पर भारत पर असर पड़ेगा? इससे अमेरिका और भारत के बीच होने वाली ट्रेड डील कितनी प्रभावित होगी? आइये नजर डालते हैं इस विश्लेषण पर…
ब्रिक्स देशों के बढ़ते कुनबे को देखकर चीन बौखला या हुआ है। इस समिट में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नहीं पहुंचे। ऐसे में इस समिट में भारत की दमदार मौजूदगी ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। इससे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बौखला हुए। पीएम मोदी ने यूएनएससी में बदलाव, ग्लोबल साउथ और टैरिफ पॉलिसी को लेकर बड़े बयान दिए। जोकि अमेरिका को नागवार गुजरे। इसके बाद ट्रंप इस कदर बौखलाए कि उन्होंने कहा कि जो भी ब्रिक्स देश अमेरिकी विरोधी नीतियों के खिलाफ जाकर ब्रिक्स से जुड़ेगा या उसको समर्थन देगा उस पर 10 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ लगेगा। इसके साथ ही उन्होंने कह दिया कि इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा। यानी चाहे कोई भी देश हो यह नियम सभी पर लागू होगा।
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जॉइंट अनाउंसमेंट से बौखलाया अमेरिका
ऐसे में माना जा रहा है कि ये अपवाद वाली भारत के लिए थी। भारत का विश्वपटल पर पहलगाम आतंकी हमले को ले जाना, यूएन काउंसिल में सुधार को लेकर बात करना और ग्लोबल साउथ को नजरअंदाज करने जैसे मुद्दों पर बात रखना शायद अमेरिका को नागवार गुजर रहा है। इसके अलावा पीएम मोदी ने डब्ल्यूटीओ की भूमिका पर भी सवाल उठाए। पीएम ने कहा कि डब्ल्यूटीओ के नियमों के खिलाफ जाकर टैरिफ लगाना किसी भी स्तर पर ठीक नही है। इससे विश्व आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है। हालांकि इस दौरान अमेरिका का नाम नहीं लिया गया था।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील का क्या होगा?
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील अब लगभग अंतिम चरण में है। दोनों देशों के बीच कभी भी डील फाइनल हो सकती है। ऐसे में ट्रंप के इस बयान से भ्रम वाली स्थिति उत्पन्न हो गई है। ट्रंप ने सभी देशों पर एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की बात कही है इसमें तो भारत भी शामिल है। सूत्रों की मानें तो भारत ने चावल, डेयरी, गेहूं और अन्य आनुवांशिक रूप से संशोधित फसलों के लिए समझौता करने से इनकार कर दिया है। जबकि भारत ने श्रम प्रधान क्षेत्रों के समर्थन के लिए उचित समझौते की बात कही है।
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