Who is Soham Parekh because of whom the tech world was shaken

Soham Parekh: टेक इंडस्ट्री में ऐसा घोटाला शायद ही पहले कभी देखा गया हो. भारत के रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर सोहम पारेख ने अमेरिका की दर्जनों स्टार्टअप कंपनियों को उस वक्त चौंका दिया जब सामने आया कि वो एक साथ 34 कंपनियों में फुल-टाइम नौकरी कर रहे थे वो भी चुपचाप.

शुरुआत में सब कुछ सामान्य लगा

सोहम पारेख की असलियत तब सामने आई जब Mixpanel के फाउंडर सुहैल दोशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर खुलासा किया कि उन्होंने पारेख को हायर किया था, लेकिन एक हफ्ते के भीतर ही धोखाधड़ी पकड़ में आने के बाद निकाल भी दिया. दोशी के इस खुलासे के बाद कई और स्टार्टअप फाउंडर्स सामने आए और बताया कि या तो उन्होंने पारेख को हायर किया था या इंटरव्यू लिया था, जबकि वह पहले से ही कहीं और काम कर रहे थे.

एक इंजीनियर, कई चेहरे

AI स्टार्टअप Create के को-फाउंडर ध्रुव अमीन ने भी पारेख से जुड़े अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि सोहम को इंटरव्यू में देखकर उन्होंने उसे हायर किया था. शुरुआत में सब कुछ अच्छा लगा सोहम ने बेहतरीन परफॉर्म किया और टीम में जुड़ने को लेकर उत्साहित दिखे. लेकिन फिर, पारेख ने कहा कि वो न्यूयॉर्क में हैं और जॉइनिंग एक हफ्ते बाद करेंगे. पहले दिन ही उन्होंने बीमार होने का बहाना कर लिया और फिर रिमोट से ऑनबोर्डिंग की बात की.

इसके बाद मीटिंग्स मिस करना, डेडलाइंस टालना और बहानेबाज़ी शुरू हो गई. बाद में टीम को पता चला कि पारेख एक और कंपनी Sync में भी उसी समय काम कर रहे थे. जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने इसे नकार दिया और कहा कि Sync में काम करने वाले लोग सिर्फ दोस्त हैं. लेकिन Sync द्वारा शेयर की गई “एम्प्लॉयी ऑफ द मंथ” वीडियो में खुद सोहम पारेख को देखकर सारी सच्चाई सामने आ गई.

‘फायर’ के बाद आया सच्चाई का कबूलनामा

जब टेक वर्ल्ड में ये मामला उछला, तब सोहम पारेख ने The Backchannel Podcast (TBPN) में खुद सामने आकर सारा सच स्वीकार किया. उन्होंने कहा, “हां, ये सच है. मुझे इस पर गर्व नहीं है, लेकिन मेरी आर्थिक हालत इतनी खराब थी कि मुझे ऐसा करना पड़ा. कोई भी 140 घंटे हफ्ते में काम करना पसंद नहीं करता, पर मजबूरी थी.”

सोहम ने यह भी कहा कि उन्होंने किसी तरह की AI या बाहरी मदद नहीं ली और सारे प्रोजेक्ट्स खुद ही पूरे किए. उन्होंने दावा किया कि यह सब 2022 में शुरू हुआ था, जब उन्होंने जॉर्जिया टेक के ऑनलाइन प्रोग्राम में दाखिला लिया था. लेकिन जब जॉर्जिया टेक की तरफ से कहा गया कि उनके रिकॉर्ड में ऐसा कोई छात्र नहीं है, तो उनकी कहानी पर और सवाल उठने लगे. शायद आपको हैरानी हो, लेकिन इस खुलासे के बावजूद सोहम अब San Francisco की AI कंपनी Darwin में काम कर रहे हैं. उन्होंने साफ कहा है, “अब मैं दोबारा ऐसा नहीं करूंगा.”

एक बड़े सवाल के साथ खत्म हुई कहानी

सोहम पारेख की यह कहानी सिर्फ एक धोखाधड़ी नहीं, बल्कि रिमोट वर्क और स्टार्टअप हायरिंग सिस्टम की खामियों को उजागर करती है, जहां बैकग्राउंड चेक नाममात्र का होता है और तेजी से स्केल करने का दबाव बहुत ज़्यादा होता है. चाहे उसे धोखेबाज़ कहें या hustler एक बात तय है, सोहम पारेख का नाम अब सिलिकॉन वैली के इतिहास में दर्ज हो चुका है.

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