LG VK Saxena on EOL Vehicles: अगर आप दिल्ली में रहने वाले व्यक्ति हैं और पुराना वाहन यूज करते हैं तो ये खबर आपके लिए जरूरी है. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर राजधानी में एंड ऑफ लाइफ (EOL) Vehicles, यानी 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर CAQM की नई गाइडलाइंस को लेकर गहरी चिंता जताई है.
बता दें सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइंस में पेट्रोल-डीजल न देने और वाहनों को स्क्रैप करने की बात कही गई है. उपराज्यपाल ने इस नीति की व्यवहारिकता, कानूनी वैधता और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को लेकर कई अहम सवाल उठाए हैं.
उपराज्यपाल ने पक्ष में क्या लिखा?
उपराज्यपाल ने पत्र में सुझाव दिया कि दिल्ली सरकार इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे और केंद्र सरकार से बातचीत कर नियमों की समीक्षा की मांग करे. उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर उन्होंने सार्वजनिक चर्चाओं, पर्यावरण मंत्री के पत्र और 3 जुलाई को मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक के बाद गहराई से विचार किया है. चिट्ठी में उल्लेख किया गया है कि उन्हें नागरिकों, विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों से बड़ी संख्या में आपत्तियां प्राप्त हुई हैं, जो बताती हैं कि CAQM की हालिया गाइडलाइंस व्यावहारिक नहीं हैं और इनके पर्यावरणीय लाभ भी संदिग्ध हैं.
LG सक्सेना ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 और NGT के 2014 के आदेशों में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों को हटाने की बात की गई थी, लेकिन यह आदेश केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 59 की भावना से मेल नहीं खाता, जो पूरे देश में समान रूप से लागू होता है। उन्होंने तर्क दिया कि यदि एक वाहन दिल्ली में 10 साल पुराना होकर अवैध हो जाता है, लेकिन वही वाहन मुंबई, चेन्नई या अहमदाबाद में वैध रूप से चल सकता है, तो यह तार्किक नहीं है।
मीडिल क्लास फैमिली और बीएस-6 वाहन का किया जिक्र
उपराज्यपाल ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि केवल उम्र के आधार पर किसी वाहन को एंड ऑफ लाइफ घोषित करना न केवल तकनीकी रूप से गलत है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी अन्यायपूर्ण है, विशेषकर मीडिल क्लास फैमिली के लिए जिनके लिए वाहन खरीदना एक बड़ा पूंजीगत निवेश होता है. उन्होंने यह भी कहा कि कई बीएस-6 मानक वाले वाहन, जो पर्यावरण के लिहाज से बेहतर हैं और कम चले हैं, उन्हें भी कबाड़ के भाव बेचने को मजबूर किया जा रहा है.
5 पेज के इस पत्र में उपराज्यपाल ने यह भी लिखा कि दिल्ली के लोगों को उनके निवास के आधार पर दंडित नहीं किया जा सकता, जबकि पास के राज्यों में वही वाहन वैध हैं. ऐसे में दिल्ली सरकार को केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय से संपर्क कर Vehicle Scrapping Facility Rules, 2021 की समीक्षा की मांग करनी चाहिए और एक व्यवहारिक, तकनीकी एवं पर्यावरणीय परीक्षण के आधार पर तैयार किया गया फ्रेमवर्क लागू करना चाहिए.
LG ने दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की सलाह दी है. इसके साथ ही उन्होंने ज़ोर दिया कि वायु प्रदूषण सिर्फ वाहनों से नहीं, बल्कि पराली, धूल, मौसम, निर्माण कार्य और ट्रैफिक जाम जैसी अनेक वजहों से होता है. ऐसे में सरकार को 3 महीने में एक समग्र वायु गुणवत्ता सुधार योजना तैयार करनी चाहिए और पुराने वाहनों को CNG या इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए जन-जागरूकता और प्रोत्साहन अभियान शुरू करना चाहिए.
पत्र के अंत में उपराज्यपाल ने कहा कि वायु प्रदूषण एक गंभीर और साझा जिम्मेदारी है, लेकिन इससे निपटने के लिए कानूनी निष्पक्षता, सामाजिक संवेदनशीलता और व्यावहारिक सोच को बराबर महत्व देना आवश्यक है.
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