Muharram 2025: कल देशभर में मुहर्रम का त्योहार मनाया जाएगा। मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना होता है। इस महीने को बलिदान का महीना कहा जाता है। इसका इतिहास बहुत पुराना है, जिसमें इंसानियत के लिए जंग लड़ी गई थी। मुहर्रम में लोग बड़े-बड़े ताजिये लेकर अपने आसपास बनी कर्बला तक जाते हैं। इस जुलूस में भारी संख्या में लोग शामिल होते हैं, जिसको देखते हुए राज्य सरकारों ने खास तैयारियां कर ली हैं। दिल्ली से लेकर यूपी-बिहार तक पुलिस ने बैठकें की, जिसमें सुरक्षा को लेकर प्लान बनाया गया है। 6 जुलाई को दिल्ली में भी हजारों अधिकारी ग्राउंड पर रहेंगे, जिससे जुलूस शांति से निकाला जा सके।
दिल्ली में क्या हैं इंतजाम?
देश की राजधानी दिल्ली में मुहर्रम के लिए पूरी तैयारियां कर ली गई हैं। डीसीपी साउथ अंकित चौहान ने एएनआई से बात करते हुए तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ‘हमारे साउथ जिले में दो जगहों पर मुहर्रम मनाया जाता है। हमने शांति समिति की बैठक की है और इसको देखते हुए व्यवस्थाएं भी कर ली हैं। हम आज रात से ही अपने अधिकारियों को तैनात कर देंगे। एक हजार से ज्यादा अधिकारी ग्राउंड पर रहेंगे।’ इसके अलावा, उन्होंने कहा कि ‘हम सोशल मीडिया पर भी नजर रखेंगे। अगर कोई माहौल खराब करने की कोशिश करेगा, तो हम उसके खिलाफ एक्शन लेंगे।’
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बिहार में प्रशासन की तैयारी
उत्तर प्रदेश और बिहार के अलग-अलग जिलों में प्रशासन मुहर्रम की तैयारी में लगा है। बिहार में जुलूस निकालने से पहले कुछ गाइडलाइन्स निकाली गई हैं। प्रशासन ने जुलूस के दौरान भड़काऊ नारे, बाइक पर स्टंट, पोस्टर-बैनर और सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने को लेकर सख्ती दिखाई है। अगर इस तरह का कुछ भी मिलता है, जिससे शांति भंग हो, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। मुहर्रम को देखते हुए ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
यूपी में लगे CCTV कैमरे
उत्तर प्रदेश में मुहर्रम को लेकर माहौल थोड़ा ज्यादा गर्म है, क्योंकि यहां पर इसी महीने में कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो रही है, जिसके चलते प्रशासन को डबल तैयारी करनी पड़ी है। 6 जुलाई को मुहर्रम को देखते हुए मुरादाबाद में कई रास्तों पर कैमरे लगाए गए हैं, जिससे स्थिति पर हर समय नजर रखी जा सकेगी। वहीं, मुहर्रम के जुलूस में ताजिये की लंबाई को भी कम किया गया है। किसी तरह का हादसा न हो इसके लिए ताजिये की लंबाई 10 फीट तक तय की गई है।
बता दें मुहर्रम वाले दिन ज्यादातर जगह पर दोहपर से ताजिये लेकर लोग निकलते हैं। मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक पहला महीना है, लेकिन यह जंग और गम का महीना कर्बला की लड़ाई की वजह से बन गया। यहां इमाम हुसैन इंसानियत के लिए लड़ते-लड़ते शहीद हो गए।
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