Kiren Rijiju Dalai Lama Birthday: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने शनिवार (5 जून, 2025) को धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में 14वें दलाई लामा के जन्मदिन समारोह में हिस्सा लिया. यह दौरा उस वक्त हुआ है जब कुछ दिन पहले ही तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी (पुनर्जन्म) की योजना को लेकर खुलासा किया था, जिस पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, दलाई लामा का जन्मदिन 6 जुलाई को मनाया जाता है. केंद्रीय मंत्री रिजिजू की इस यात्रा के एक दिन पहले चीन ने भारत को तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर सावधानी बरतने की नसीहत दी थी. चीन ने कहा था कि इससे भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिशों पर असर पड़ सकता है.
यह बयान चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से उस समय आया जब किरेन रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी वही तय करेंगे, जैसा वह चाहें. रिजिजू के इस बयान को चीन की उस बात का जवाब माना जा रहा है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन बीजिंग की स्वीकृति से होना चाहिए.
VIDEO | Delhi: “Next Dalai Lama will be decided only by the leader of Tibetan Buddhists. I am speaking as a follower”, says Union Minister Kiren Rijiju (@KirenRijiju) amid reports that China is insisting that any future heir must receive its seal of approval.#DalaiLamaSuccessor… pic.twitter.com/edkM34j66q
— Press Trust of India (@PTI_News) July 4, 2025
विदेश मंत्रालय साफ किया रुख
विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को साफ किया कि भारत सरकार का दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन की प्रक्रिया पर कोई आधिकारिक रुख नहीं है. MEA के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमने दलाई लामा जी के बयान की रिपोर्ट देखी है, जिसमें उन्होंने दलाई लामा की संस्था के जारी रहने की बात कही है. भारत सरकार धार्मिक विश्वास और आस्था से जुड़ी प्रक्रियाओं पर कोई टिप्पणी नहीं करती.” उन्होंने आगे कहा, “भारत में सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान किया गया है और हम भविष्य में भी इसी सिद्धांत पर कायम रहेंगे.”
दलाई लामा ने कही थी ये बड़ी बात
हाल ही में दलाई लामा ने कहा था कि उनका उत्तराधिकारी भारत में स्थापित गदेन फोद्रांग ट्रस्ट द्वारा चुना जाएगा, जिसे उन्होंने खुद बनाया है. उन्होंने साफ किया कि किसी अन्य संस्था या देश को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है.
इस बयान को चीन को एक सीधा संदेश माना जा रहा है, क्योंकि चीन लगातार यह दावा करता रहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव बीजिंग की स्वीकृति से होना चाहिए.
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