हाल ही में, पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) की एक पोस्ट को एलन मस्क के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (X) पर कम्युनिटी नोट के साथ चिह्नित किया गया है, जिसमें भारत के खिलाफ झूठा प्रचार करने का आरोप लगाया गया है। यह पोस्ट दो साल में DG ISPR की पहली पोस्ट थी। इस पोस्ट में भारत को एक काल्पनिक आतंकी संगठन से जोड़ने की कोशिश की थी, जिसके बाद पाकिस्तानी सेना को व्यापक आलोचना और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। इस घटना ने पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवाद और मिसलीडिंग नरैटिव्स को और उजागर किया है।
भारत के खिलाफ की थी पोस्ट
4 जुलाई, 2025 को, DG ISPR के आधिकारिक हैंडल से एक पोस्ट में दावा किया गया कि भारत एक कथित आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ है, जिसका उद्देश्य वैश्विक मंच पर भारत की छवि को धूमिल करना था। हालांकि, X कम्युनिटी ने तुरंत इन दावों को आधारहीन पाया और पोस्ट पर एक कम्युनिटी नोट जोड़ा गया, जिसमें इन आरोपों को खारिज किया गया और उन्हें फर्जी करार दिया गया। इस कार्रवाई से ISPR को एक बड़ा झटका लगा है। इसमें फील्ड मार्शल असीम मुनीर की किरकिरी हुई है, क्योंकि वो सेना के पब्लिश रिलेशन एफर्ट्स की देखरेख करते हैं।
काल्पनिक थी पोस्ट
कम्युनिटी नोट ने स्पष्ट किया कि ISPR की पोस्ट में बताया गया आतंकी संगठन पूरी तरह से काल्पनिक था और इन दावों का सपोर्ट करने के लिए कोई सबूत नहीं था। X के फैक्ट्स चेक कम्युनिटी की इस कार्रवाई को, फॉल्स इंफॉर्मेशन को रोकने की दिशा में एक कदम के रूप में सराहा गया है। दरअसल भारत-पाकिस्तान संबंधों पर अक्सर इन झूठे प्रचार-प्रसार का असर पड़ता है।
पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा का हुआ उल्टा असर
ISPR का भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का प्रयास कोई नई बात नहीं है। हाल के महीनों में, पाकिस्तान की सेना और मीडिया पर आंतरिक मुद्दों से ध्यान हटाने और भारत को क्षेत्रीय आक्रामक के रूप में चित्रित करने के लिए गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया गया है। इस चिह्नित पोस्ट का भी उद्देश्य भारत को बदनाम करना था।
हालांकि, X के कम्युनिटी नोट्स की त्वरित प्रतिक्रिया ने ISPR के दावों को आधारहीन साबित कर दिया, जिससे पाकिस्तानी सेना विश्वसनीयता की पोल खुल गई है। सोशल मीडिया यूजर्स और एनालिस्ट्स ने इस घटना को पाकिस्तान स्पांर्सड टेरेरिजम की बढ़ती वैश्विक पहचान के रूप में देखा है। कम्युनिटी नोट ने एक सार्वजनिक खंडन के रूप में काम किया है।
असीर मुनीर की हुई भारी बेइज्जती
यह घटना फील्ड मार्शल असीम मुनीर के लिए विशेष रूप से शर्मनाक रही है, जो देश के भीतर और बाहर पाकिस्तान की सैन्य ताकत को मजबूत करने के प्रयास में लगे हुए हैं। यह तथ्य कि ISPR की दो साल में पहली पोस्ट को फर्जी करार दिया गया। इससे पाकिस्तान की मिलेट्री कम्युनिकेशन की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं। आलोचकों का तर्क है कि यह घटना आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर जिम्मेदार सार्वजनिक संवाद में ISPR की अक्षमता को दर्शाती है।
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