
मंत्र एक पवित्र शब्द या ध्वनि है जिसका जाप, ध्यान या जप किया जाता है, जबकि गुरु मंत्र, गुरु द्वारा शिष्य को दिया गया एक विशिष्ट मंत्र होता है, जो आध्यात्मिक प्रगति में सहायता करता है. गुरु मंत्र एक शक्तिशाली ऊर्जा का स्रोत है. ये वो चाबी है जिसके जरिए व्यक्ति अपने भाग्य का ताला खोल सकता है.

शिष्य को गुरु मंत्र को गुप्त रखना चाहिए क्योंकि गुरु अपने संकल्प की शक्ति मंत्र में डाल देते हैं. इससे मंत्र जाग्रत हो जाता है. इसके जाप से साधक को आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ने में मदद मिलती है.

अगर गुरु मंत्र को सार्वजनिक कर दिया जाए, तो इसकी शक्ति कम हो सकती है, साथ ही कोई और इसका दुरुपयोग कर सकता है. ऐसा होने पर साधक के आध्यात्मिक विकास में बाधा आ सकती है.

यदि मंत्र को गुप्त नहीं रखा जाता है, तो यह नकारात्मक शक्तियों या व्यक्तियों के हाथों में पड़ सकता है, जो इसका दुरुपयोग कर सकते हैं या

गुरु मंत्र साधक के व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास के लिए होता है. इसे गुप्त रखने से साधक को अपनी साधना पर ध्यान केंद्रित करने और अपनी आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ने में मदद मिलती है.

गुरु के दिए मंत्र को जपने के लिए साधक को एक माला, एक समय और एक आसन का उपयोग करना चाहिए.नियमित इस विधि से जाप करने पर फल प्राप्त होता है. गुरु मंत्र के जाप से मानसिक रूप से शांति और सफलता प्राप्ति की राह आसान हो जाती है.
Published at : 04 Jul 2025 08:45 AM (IST)
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