Bhilwara Heavy Rains: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में मानसून ने इस बार कहर बरपा दिया है. बुधवार (2 जुलाई) को रिकॉर्ड तोड़ करीब 9 इंच बारिश दर्ज की गई. इसके चलते शहर ही नहीं, गांव भी जलमग्न हो गए. बारिश के पानी ने जहां सड़कों को दरिया बना दिया, वहीं कई घरों में घुसकर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है.
नदी नाले उफान पर, बांध छलके
मानसूनी बरसात की शुरुआत के साथ ही इस बार मानसून भीलवाड़ा में प्रवेश कर चुका है, जिसके चलते कोठारी, मेज, पलक, बनास बेडच और मैनाली नदी उफान पर आ गईं. वहीं, मेनाल वॉटरफॉल भी तेजी के साथ बह रहा है.
जिले के नदी नालों ओर बांधों में पानी की आवक बनी हुई है. मांडलगढ़ क्षेत्र का गोवटा बांध ओवरफ्लो हो गया है. नदियों के उफान के चलते ओवरब्रिज और पुलियों के ऊपर से पानी गुजर रहा हैं. इनमें कई लोगों के हादसे का शिकार होने की भी खबरें आई हैं.
हलेड़ गांव में फूटा लोगों का गुस्सा
शहर से सटे हलेड़ गांव में जब बरसाती पानी लोगों के घरों में घुस गया, तो आक्रोशित ग्रामीणों ने सफाई व्यवस्था की लापरवाही पर नाराजगी जताई. हालात इतने बिगड़ गए कि सरपंच पति और बीजेपी नेता बालूलाल आचार्य से मारपीट तक की नौबत आ गई.
सोशल मीडिया पर इस मारपीट का वीडियो वायरल हो रहा है, जिससे प्रशासन और राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा है. ग्रामीणों का आरोप है कि समय रहते नालियों की सफाई और जलनिकासी की व्यवस्था नहीं की गई, जिसकी वजह से पूरा गांव तालाब में तब्दील हो गया.
त्रिवेणी संगम में शिवलिंग का प्राकृतिक जलाभिषेक
बारिश के चलते त्रिवेणी संगम– मैनाली, बनास और बेड़च नदियां भी उफान पर हैं. भीलवाड़ा जिले का यह पवित्र स्थल, जहां कई राष्ट्रीय नेताओं की अस्थियां विसर्जित की गई थीं, अब पूरी तरह जलमग्न है. त्रिवेणी शिव मंदिर में स्थित प्राचीन शिवलिंग का जलाभिषेक स्वयं नदी के उफनते पानी से हो रहा है, जिसे भक्तों ने अद्भुत और दिव्य अनुभूति बताया है.
यहां 1400 साल पुराने शिवलिंग पर सावन में हजारों श्रद्धालु दर्शन और अभिषेक करने आते हैं. इस बार त्रिवेणी का पानी इतना बढ़ गया है कि श्याम मंदिर का शिखर तक डूब गया है.
वस्त्र नगरी की फैक्ट्रियों में भी जलभराव, कामकाज ठप
भीलवाड़ा की पहचान वस्त्र नगरी के रूप में है, लेकिन इस बार की मानसूनी बारिश ने यहां की प्रोसेस हाउस और कपड़ा फैक्ट्रियों को भी नहीं बख्शा. हमीरगढ़ क्षेत्र की कई यूनिटों में पानी घुस गया है. मशीनों के साथ कपड़े भी पानी में तैरते नजर आए.
जलभराव की स्थिति को देखते हुए मजदूरों को छुट्टी देनी पड़ी और फैक्ट्रियों की बिजली भी बंद कर दी गई है, जिससे उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया है.
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