Bhopal gas tragedy 337 tonnes of toxic waste burnt ANN

Bhopal Gas Tragedy Toxic Waste Burnt: मध्य प्रदेश के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का 337 टन जहरीला कचरा आखिरकार जला दिया गया. भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा यह टॉक्सिक वेस्ट कोर्ट के आदेश के 6 महीने बाद पूरी तरह से जलाया गया है. इसी के साथ 40 साल पुराना यह काला अध्याय अब बंद कर दिया गया है. 

1984 भोपाल गैस त्रासदी की यादें मिटीं
यह कचरा 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा था. अब इसे जलाकर पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है. इससे देश की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना का एक दर्दनाक अध्याय भी खत्म हुआ.

5 मई से शुरू हुई थी प्रक्रिया
धार जिले के पीथमपुर में कचरा जलाने का काम 5 मई को शुरू हुआ था. 29-30 जून की रात 1.00 बजे यह काम पूरा हुआ. इससे पहले ट्रायल में 30 टन कचरा जलाया जा चुका था.

सख्त निगरानी में किया गया काम
यह काम हाई कोर्ट के निर्देश पर किया गया. केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विशेषज्ञों की निगरानी में पूरी प्रक्रिया हुई. पूरी प्रक्रिया में एक बार में 270 किलो कचरा प्रति घंटे जलाया गया.

राख को किया गया सुरक्षित
कचरा जलने के बाद जो राख बची है, उसे बोरी में भरकर प्लांट के लीक-प्रूफ शेड में रखा गया है. अब इसे जमीन में दबाने के लिए खास लैंडफिल बनाया जा रहा है, जो नवंबर तक तैयार होगा.

स्थानीय लोगों की सेहत पर असर नहीं
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि इस प्रक्रिया से आसपास के लोगों की सेहत पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा.

क्या था भोपाल गैस कांड?
2-3 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस लीक हुई थी. इस हादसे में 5,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और हजारों लोग बीमार या विकलांग हो गए थे.

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