St. Thomas Day 2025: जब बाकी शिष्य रोम गए, वो भारत आया…और यहीं मारा गया. 3 जुलाई को मनाया जाने वाला St. Thomas Day एक ऐतिहासिक और भावनात्मक यात्रा की याद दिलाता है, जब यीशु मसीह का एक शिष्य, संत थॉमस, भारत आया, चर्च की नींव रखी और अंततः मायलापुर की पहाड़ियों में शहीद हो गया.
यह पर्व केवल एक मसीह श्रद्धा का प्रतीक नहीं, बल्कि इस सत्य की गवाही है कि भारत में धर्म तलवार से नहीं, सेवा और बलिदान से फैला. सेंट थॉमस का यह बलिदान न केवल भारतीय ईसाई समुदाय की नींव है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत सदा से संवाद, सहिष्णुता और श्रद्धा की भूमि रहा है.
परिचय: एक शिष्य, एक बलिदान और एक देश
क्या आप जानते हैं! भारत में ईसाई धर्म की नींव तलवार से नहीं, एक संत के खून से रखी गई थी?
St. Thomas Day (3 जुलाई) पर हम याद करते हैं उस मसीह शिष्य को जो यीशु के प्रेम में हजारों मील दूर भारत आया, चर्च बनाए, और यहीं मायलापुर (चेन्नई) में शहीद हो गया.
कौन थे संत थॉमस?
- यीशु के 12 प्रमुख शिष्यों में से एक
- Doubting Thomas नाम से प्रसिद्ध, जब तक यीशु को पुनर्जीवित देख नहीं लिया, विश्वास नहीं किया
- पर बाद में वे सबसे अधिक समर्पित प्रचारकों में बन गए और भारत की ओर रुख किया
भारत यात्रा: क्या वाकई वे भारत आए थे?
प्रमाण | विवरण |
आगमन | 52 ईस्वी, मुझिरिस (केरल) |
चर्च | 7 प्राचीन चर्च: कोडुंगलूर, पलायूर, नीलाकल आदि |
ग्रंथ | Acts of Thomas (ईसाई धर्मग्रंथ), Ramban Pattu (केरल का मौखिक इतिहास) |
प्रभाव | St. Thomas Christians या Syrian Nasrani समुदाय की उत्पत्ति |
शहादत: जब भारत की मिट्टी में एक संत का खून बहा
- 20 वर्षों तक धर्म प्रचार के बाद, चेन्नई के पास मायलापुर हिल पर शत्रुओं ने उन्हें भाले से घायल किया
- वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली
- उनकी समाधि आज भी St. Thomas Mount Church में स्थित है, एक पवित्र तीर्थ
3 जुलाई क्यों?
रोमन कैथोलिक परंपरा के अनुसार, 3 जुलाई को संत थॉमस की शहादत की याद में यह दिवस मनाया जाता है. यह दिन भारत में ईसाई पहचान और विरासत का पर्व बन चुका है
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व
विषय | विवरण |
धार्मिक सन्देश | सेवा, प्रेम और साहस से धर्म फैलाना |
संस्कृतिक प्रभाव | केरल में ईसाई परंपराओं का भारतीयकरण |
धरोहर संस्कृत | भजन, दक्षिण भारत में मिश्रित परंपरा |
संदेश | धर्म प्रचार तलवार से नहीं, आत्मा से होता है |
क्या भारत आना ऐतिहासिक सत्य है?
हां, इतिहासकारों, पुरातत्व और लोक परंपराओं से संकेत मिलते हैं. हालांकि पश्चिमी इतिहासकारों में कुछ मतभेद हैं, पर भारत में मौजूद हजारों वर्ष पुरानी नासरानी परंपरा इसकी पुष्टि करती है
आज क्यों महत्वपूर्ण है St. Thomas Day?
धर्म के नाम पर नफरत के युग में संत थॉमस सेवा, बलिदान और संवाद का प्रतीक हैं. वे बताते हैं कि धर्म का असली उद्देश्य मानवता को जोड़ना है, तोड़ना नहीं.
FAQs
Q. संत थॉमस ने भारत में कितने चर्च बनाए थे?
उत्तर: 7 प्राचीन चर्च, जिन्हें Ezharappallikal कहा जाता है.
Q. संत थॉमस कहां मारे गए थे?
उत्तर: मायलापुर, चेन्नई में , 72 ईस्वी में.
Q. क्या संत थॉमस का आगमन ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित है?
उत्तर: भारतीय परंपरा और ईसाई ग्रंथों में इसका स्पष्ट उल्लेख है.
Q. यह दिन कौन मनाता है?
उत्तर: विशेष रूप से कैथोलिक चर्च और भारत के सेंट थॉमस क्रिश्चियन समुदाय.
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