Sanatan Dharma eating food from these 5 houses is inauspicious Know rules to eating

Eating Rule in Hindi: सनातन धर्म में भोजन को ब्रह्म के समान माना जाता है. कहावत है कि जैसा होगा अन्न, वैसा रहेगा मन. इसी वजह से शास्त्रों में भोजन करने से पहले कुछ विशेष बातों का जिक्र किया गया है. जैसे भोजन कहां और किसके हाथ से बना है और कहां खाया जा रहा है. 

शास्त्रों में 5 तरह के लोगों का जिक्र किया गया है, जिनके घर का भोजन कभी भी नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से आपको शारीरिक हानि के साथ मानसिक दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है. 

बीमार व्यक्ति के घर भोजन करने से बचें
शास्त्रों के अनुसार कभी भी बीमार व्यक्ति के घर पर भोजन नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से आप भी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक बीमार व्यक्ति के घर खाना खाने से आपकी ऊर्जा कमजोर, तामसिक और विषाक्त हो सकती है. 

बीमार व्यक्ति के घर भोजन करने से ये आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. इससे आपका मन उदास होने के साथ शरीर थका हुआ और ऊर्जा का स्तर कम हो सकता है. 

जिस घर में ब्याज का पैसा आता हो
जिस घर में ब्याज पर पैसे दिए जाते हो, उस घर में कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए. मनुस्मृति और महाभारत के अनुसार जो व्यक्ति दूसरों को ब्याज पर पैसे देकर धन अर्जित करता है, वह पाप का भागीदार होता है. ऐसे धन से अर्जित किया गया भोजन पापयुक्त और तामसिक भोजन माना जाता है.

मान्यताओं के मुताबिक ब्याज का पैसा शोषण की ऊर्जा से जुड़ा होता है. जो भोजन के जरिए खाने वाले के अंदर भी प्रवेश कर सकता है. इसके साथ ही ऐसा भोजन करने से व्यक्ति में स्वार्थ, अहंकार और लोभ जैसी प्रवृत्ति उत्पन्न हो सकती है.

किन्नरों के घर भोजन करने से बचें
किन्नरों के घर पर कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए. ऐसा करना अशुभ होता है. शास्त्रों के अनुसार किन्नरों को त्रिलिंगी या त्रिशंकु भी कहते हैं. किन्नर गृहस्थ जीवन में प्रवेश नहीं कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में उनके यहां का भोजन आमजनों के लिए खाना उचित नहीं होता है. 

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक किन्नरों में काफी तेज आध्यात्मिक और रहस्यमय ऊर्जा होती है. उनका भोजन खाने से वह ऊर्जा आपके चित्त और शरीर पर असंतुलन प्रभाव डाल सकती है. 

कंजूस प्रवृत्ति के लोगों के घर भोजन करने से बचें
ऐसा व्यक्ति जो स्वभाव से कंजूस प्रवृत्ति का हो, उसके यहां भोजन नहीं करना चाहिए. शास्त्रों के मुताबिक भोजन बनाने और परोसने वाले का भाव भोजन में भी समाहित होता है.

कंजूस व्यक्ति लोभ, संकुचित और स्वार्थ प्रवृत्ति का होता है. ऐसे में इस तरह के लोगों के घर भोजन करने से उसकी ऊर्जा आपके अंदर भी समाहित हो सकती है. 

जिस घर में मांसहार पकाया जाता हो
जिस घर में मांस का सेवन होता हो, ऐसे घर में भी भोजन करने से बचना चाहिए. सनातन धर्म के मुताबिक मांसाहारी भोजन को हिंसात्मक भोजन भी कहा जाता है. जिस घर में मांसाहार पकाया जाता है, शास्त्रों के अनुसार वहां की रसोई अपवित्र कहलाती है. ऐसी रसोई में पकाया गया शाकाहारी भोजन भी अपवित्र होता है.

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जिस घर में मांसाहार वाला भोजन खाया जाता है, वहां अशुभ ऊर्जा का वास होता है. ऐसे घर का अन्न ग्रहण करने से आपको मानसिक हानि का सामना करना पड़ सकता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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