Kolkata Law College Student Assault Case Manojit Mishra Crime Kundali estranged his father know his entire story

Manojit Mishra: कोलकाता लॉ कॉलेज रेप केस में मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा अपने पिता रॉबिन मिश्रा से करीब 5 साल से अलग रह रहा था. कालीघाट में सिर्फ 4 घरों की दूरी पर रहने के बावजूद पेशे से पुजारी रॉबिन ने बेटे के राजनीति में लगातार शामिल होने के कारण उससे संबंध खत्म कर लिए. 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर उनका बेटा किसी गलत काम का दोषी है तो उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. पेशे से पुजारी पिता ने कहा कि उसे अपना केस लड़ने दें. कानून को अपना काम करने दें. पीड़िता भी किसी की बेटी है. अगर उसने ऐसा किया है तो उसे उसके कामों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

उपद्रव के कारण कॉलेज की तृणमूल इकाई से हटाया गया
कानून में रुचि रखने वाला मोनोजीत कैंपस की राजनीति में गहराई से उतर गया था और टीएमसी का सक्रिय सदस्य था. सूत्रों ने कहा कि मिश्रा ने 2007 में प्रवेश लिया और 2012 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, लेकिन इससे पहले ही पढ़ाई छोड़ दी. बीए एलएलबी के लिए उसने 2017 में एडमिशन कराया और कथित तौर पर 2021 में उपद्रव के कारण कॉलेज की तृणमूल इकाई के नेतृत्व से हटा दिया गया था, लेकिन बाद में एक संविदा कर्मचारी बन गया. 

एक पूर्व छात्र जो मोनोजीत का बैचमेट था उसने कहा कि हमारे पास 120 सीटें थीं और मनोजीत 121वां उम्मीदवार था और इस बारे में कैंपस में हर कोई जानता था, लेकिन उसके राजनीतिक संबंधों के कारण कोई कुछ नहीं कर सका.

शराब पीकर लोगों से करता था मारपीट 
मोनोजीत का निजी जीवन उथल-पुथल भरा रहा है. अपनी मां और बहन के चले जाने के बाद वो अकेले रहता था और 2023 में उसकी दादी का निधन हो गया. कालीघाट के पड़ोसी उसे उपद्रवी बताते हैं, जो अक्सर झगड़े और उपद्रव में शामिल रहता था. एक पड़ोसी ने याद करते हुए बताया कि मोनोजीत उर्फ ​​पपई हमेशा उपद्रवी था. वह लड़ाई-झगड़े और शराब पीकर मारपीट करता था.

एक अन्य पड़ोसी ने कहा कि शुक्रवार को टीवी पर दिखाए गए सह आरोपी में से एक ने कुछ दिन पहले घर पर शराब पीने के बाद हंगामा किया था. दूसरे ने कहा कि मनोजीत की गर्लफ्रेंड एक वकील है, जो अक्सर उसके घर आती थी.

छेड़छाड़ और उत्पीड़न के कई आरोप, पुलिस ने कभी नहीं लिया एक्शन
मोनोजीत का राजनीतिक सफर विवादों से भरा रहा है. वह 2017 में प्रिंसिपल के कार्यालय में तोड़फोड़ करने में शामिल था, जिसके कारण कॉलेज की तृणमूल इकाई भंग हो गई थी. सूत्रों ने कहा कि उस समय मोनोजीत और दो अन्य नेताओं के बीच सत्ता संघर्ष चल रहा था. आधिकारिक इकाई की अनुपस्थिति के बावजूद उसने तृणमूल नेता के रूप में फिर से प्रभाव हासिल कर लिया. 

सूत्रों ने बताया कि गरियाहाट पुलिस थाने और कस्बा पुलिस थाने में मोनोजीत के खिलाफ छेड़छाड़ और उत्पीड़न के कई आरोप लगे थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

ये भी पढ़ें:

गाजर के हलवे से लेकर अंतरिक्ष से भारत के नजारे तक… जानें पीएम मोदी की शुभांशु शुक्ला से बातचीत की बड़ी बातें

Read More at www.abplive.com