Do you know about the sub lingas of the 12 Jyotirlingas Will Lord Bholenath blessings

12 Jyotirlingas Name and Place List : शिव जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता हैं, विश्व चेतना हैं और ब्रह्मांडीय अस्तित्व के आधार माने जाते हैं. ऐसे में शिव पुराण में भगवान शिव के बारे में आपको सब कुछ जानने को मिल जाएगा.

शिव पुराण के 6 खंड और 24,000 श्लोकों में भगवान शिव के महत्व को समझाया गया है. इसी में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के बारे में भी वर्णित है, जिसमें साफ अंकित है कि इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से पापों का नाश, मानसिक शांति और मुक्ति की प्राप्ति होती है.

12 ज्योतिर्लिंग रूपी शिवलिंग में भगवान शिव का वास

शिव पुराण के कोटिरुद्र संहिता में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का विस्तृत वर्णन किया गया है. इन प्राचीन 12 ज्योतिर्लिंग रूपी शिवलिंग में साक्षात भगवान शिव का वास बताया गया है. ऐसे में हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन का विशेष महत्व रहा है.

शिव पुराण में वर्णित 12 ज्योतिर्लिंग में से एक यूपी में, एक उत्तराखंड में, एक झारखंड में, दो मध्य प्रदेश में, तीन महाराष्ट्र में, दो गुजरात में, एक आंध्र प्रदेश में और एक तमिलनाडु में स्थित है.

इन ज्योतिर्लिंगों को सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशी विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वरम और घृष्णेश्वर के नाम से जाना और पूजा जाता है.

शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों के उपलिंगों का वर्णन

इसके साथ ही आपको बता दें कि शिव पुराण में इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों के उपलिंगों का भी वर्णन है. प्रत्येक ज्योतिर्लिंग के उपलिंग का वर्णन भी शिव महापुराण के कोटिरुद्र संहिता के प्रथम अध्याय से प्राप्त होता है, किंतु इसमें विश्वेश्वर या विश्वनाथ, त्र्यम्बक या त्र्यम्बकेश्वर और वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के उपलिंग का वर्णन नहीं है. ऐसे में यह माना जा सकता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के उपलिंग हैं ही नहीं.

शिव पुराण में वर्णित है कि सोमनाथ का जो उपलिंग है, उसका नाम अन्तकेश (अन्तकेश्वर) है. वह उपलिंग मही नदी और समुद्र के संगम पर स्थित है. वहीं, मल्लिकार्जुन से प्रकट उपलिंग रुद्रेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है. वह भृगुकक्ष में स्थित है और उपासकों को सुख देने वाला है.

इस नाम से प्रसिद्ध है महाकाल से संबंधित उपलिंग

महाकाल से संबंधित उपलिंग दुग्धेश्वर या दूधनाथ के नाम से प्रसिद्ध है. वह नर्मदा के तट पर है और समस्त पापों का निवारण करने वाला कहा गया है. ओंकार से उत्पन्न हुआ कर्मदेश (कर्दमेश्वर) नामक उपलिंग बिन्दुसरोवर में स्थित है. यह सम्पूर्ण कामनाओं के दाता हैं.

केदारेश्वर या केदारनाथ लिङ्ग से उत्पन्न हुआ भूतेश (भूतेश्वर) नामक उपलिंग है. जो यमुनातट पर स्थित है. जो लोग उसका दर्शन और पूजन करते हैं, उनके बड़े-से-बड़े पापों का वह निवारण करने वाला बताया गया है.

भीमशङ्कर से प्रकट हुआ भीमेश्वर नामक उपलिंग है. वह भी सह्य पर्वत पर ही स्थित है और महान बल की वृद्धि करने वाला है. नागेश्वर संबंधी उपलिंग का नाम भी भूतेश्वर ही है, वह मल्लिका सरस्वती के तट पर स्थित है और दर्शन करने मात्र से सब पापों को हर लेता है. रामेश्वर से प्रकट हुए उपलिंग को गुप्तेश्वर और घुश्मेश्वर से प्रकट हुए उपलिंग को व्याघेश्वर कहा गया है.

किसी भी उपलिंग की वास्तविक स्थिति या स्थान ज्ञात नहीं

वैसे तो विश्वेश्वर या विश्वनाथ, त्र्यम्बक या त्र्यम्बकेश्वर और वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के उपलिंग का वर्णन शिव पुराण से प्राप्त नहीं होता. फिर भी कुछ विद्वान शरण्येश्वर को विश्वेश्वर का उपलिंग, सिद्धेश्वर को त्रयम्बकेश्वर का उपलिंग और वैजनाथ को वैद्यनाथ का उपलिंग मानते हैं.

इसके साथ ही आपको बता दें कि केदारेश्वर और नागेश्वर ज्योतिर्लिङ्ग के जो उपलिंग हैं, उनका एक ही नाम है परन्तु वह जहां-जहां स्थापित हैं, वह स्थान अलग-अलग हैं.

अभी के समय में केदारेश्वर (केदारनाथ) के उपलिंग भूतेश्वर को मथुरा में चिह्नित किया जा सकता है. बाकी किसी भी उपलिंग की वास्तविक स्थिति या स्थान ज्ञात नहीं है.

प्रत्येक उपलिंग के नाम से अनेक शिवलिंग भारतवर्ष में अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं और स्थानीय निवासी अपने-अपने क्षेत्र के शिवलिङ्ग को ही वास्तविक उपलिंग बताते हैं.

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