Eating rules in Muharram: मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर के 4 पवित्र महीनों में से एक महीना होता है. इस्लाम धर्म में मुहर्रम के महीने में नववर्ष की शुरुआत होती है. मुहर्रम के 10वें दिन को आशूरा इसलिए कहा जाता है क्योंकि, इसी दिन हजरत रसूल के नाती इमाम हुसैन और उनके साथी कर्बला के युद्ध में शहीद हुए थे.
मुहर्रम के 10वें दिन तमाम जगहों पर जुलूस निकाला जाता है. ऐसे में मुहर्रम के 10वें दिन खाने-पीने को लेकर कुछ विशेष परंपराएं और आदर्श का पालन किया जाता है. मुहर्रम पर्व के दौरान क्या खाना सही होता है? आइए जानते हैं.
मुहर्रम के दिन क्या खाना सही होता है?
मुहर्रम का दिन मुस्लिमों खासकर शिया समुदाय के लोगों के लिए शोक का दिन होता है. इस दौरान किसी भी तरह का शाही या उत्सव वाला खाना खाने की मनाही होती है. मुहर्रम के मौके पर दाल-चावल, खिचड़ी, रोटी-सब्जी, साबूदाना जैसे साधारण और हल्का खाना खाया जाता है.
मुहर्रम के 10वें दिन को लेकर पैगंबर मुहम्मद ने रोजा रखने की सलाह दी थी. हदीसा 1162 के अनुसार आशूरा के मौके पर रखा गया रोजा पिछले साल के गुनाहों का प्रायश्चित होता है. इसलिए इस दिन रोजा रखने पर हल्का फुल्का भोजन ही करना चाहिए.
मुहर्रम के दिन नियाज का होता है वितरण
मुहर्रम के दिन शिया समुदाय के लोग विशेष रूप से मुहर्रम का नियाज बनाते हैं. जिसमें शिया समुदाय के लोग मीठा चावल, खिचड़ी या हलीम और शरबत बांटते हैं. शिया समुदाय के लोग इमाम हुसैन की भूख-प्यास की याद में नियाज बनाते हैं.
मुहर्रम के दिन क्या नहीं खाना चाहिए?
- मुहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग दावती खाना, तड़क-भड़क वाले व्यंजन को खाने से परहेज करते हैं.
- मुहर्रम का दिन शोक का दिन होता है, इसी वजह से मिठाइयों और उत्सव वाले खाने से भी बचा जाता है.
- 10 मुहर्रम को विवाह करना या किसी भी तरह का शोर-शराबा नहीं किया जाता है. मांसाहारी दावत खाने से भी परहेज किया जाता है.
मुहर्रम का इस्लामिक कैलेंडर से संबंध
- 1 से 9 मुहर्रम का समय इबादत, कुरान का पाठ करना, संयम और सादगी के साथ जीवन जीना और 9 मुहर्रम को रोजा रखा जाता है.
- 10 मुहर्रम को आशूरा कहा जाता है. इस दिन सादा खाना, रोजा, शोक और इमाम हुसैन की याद में नियाज बांटा जाता है.
- 11 से 13 मुहर्रम को कई जगहों पर तबर्रुक और नियाज बांटने की पाक परंपरा निभाई जाती है.
मुहर्रम के दिन खाना सिर्फ शरीर की जरूरत ही नहीं बल्कि आस्था, श्रद्धा और शहादत का प्रतीक भी माना जाता है. इस दिन सादा, संयमित और इबादत से जुड़ा हुआ खाना खाने की सलाह दी जाती है. खासकर 10 मुहर्रम यानी आशूरा के दिन ये करना सुन्नत का काम माना जाता है.
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