SEBI ने BSE पर लगाया ₹25 लाख का जुर्माना, आखिर ऐसी क्या हो गई चूक? – sebi imposed rs 25 lakh fine on bse found gaps in disclosure system and compliance processes

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने BSE पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। SEBI को अपनी जांच में एक्सचेंज के डिस्क्लोजर सिस्टम और कंप्लायंस प्रोसेस में कमियां मिली हैं। SEBI ने BSE पर 15 लाख रुपये का जुर्माना सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट के सेक्शन 23H के तहत कॉरपोरेट घोषणाओं तक समान और निष्पक्ष पहुंच प्रदान करने में विफलता के लिए लगाया है। वहीं 2004, 2011 और 2021 में जारी सर्कुलर के उल्लंघन के लिए SEBI एक्ट के सेक्शन 15HB के तहत अलग से 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

SEBI ने अपना इंस्पेक्शन फरवरी 2021 और सितंबर 2022 के बीच किया था। इस अवधि के दौरान, BSE के सिस्टम आर्किटेक्चर ने अपनी लिस्टिंग कंप्लायंस मॉनिटरिंग टीम और पेड क्लाइंट्स को कॉरपोरेट फाइलिंग की एक्सेस की इजाजत, उन फाइलिंग्स के एक्सचेंज की वेबसाइट पर पब्लिकली उपलब्ध होने से पहले दी। BSE की प्रोसेस में में सभी यूजर्स के लिए एक समान पुश मैकेनिज्म की कमी पाई गई।

और क्या मिला जांच में

SEBI ने अपनी जांच में यह भी पाया कि BSE उन ब्रोकर्स के खिलाफ एक्शन नहीं ले सका, जो अक्सर क्लाइंट कोड में बदलाव किया करते थे। एक्सचेंज गलती वाले खातों के जरिए रूट किए गए ट्रेड्स का पर्याप्त रिव्यू नहीं कर पाया, साथ ही बिना ड्यू डिलीजेंस के अनरिलेटेड इंस्टीट्यूशनल क्लाइंट्स के बीच कोड चेंज की इजाजत दे दी।

BSE के क्या हैं तर्क

SEBI के पुराने सर्कुलर्स के उल्लंघन के मामले में BSE का तर्क है कि उल्लंघन तकनीकी थे। इससे किसी निवेशक को नुकसान या एक्सचेंज को अनुचित फायदा नहीं हुआ। साथ ही एक्सचेंज का यह भी कहना है कि उसने सुधारात्मक कदम लागू किए थे। लेकिन SEBI, BSE के इन तर्कों से सहमत नहीं है। उसका कहना है कि एक्सचेंज के एक्शन फर्स्ट लेवल रेगुलेटर और मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन के तौर पर BSE के रोल के साथ मेल नहीं खाते हैं। BSE की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी व्यवस्था बरकरार रखे, जिससे प्राइस सेंसिटिव इनफॉरमेशन तक कुछ चुनिंदा लोगों की पहुंच बाकियों से पहले बनने की कोई संभावना न पैदा हो, चाहे फिर ऐसा अनजाने में ही क्यों न हो।

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