भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने NSE, BSE, CDSL जैसे बाजार संस्थानों के लिए नए गवर्नेंस नियमों का प्रस्ताव दिया है. अब स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटरी और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन अब दायरे में होंगे.
नियुक्तियां होंगी पारदर्शी
सीनियर पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अब पहले से ज्यादा पारदर्शी होगी. इसके लिए बाहरी एजेंसी की मदद ली जाएगी ताकि पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सके.
कूलिंग-ऑफ पीरियड अनिवार्य
सेबी ने कूलिंग-ऑफ पीरियड को भी अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया है. इसका मतलब यह है कि कोई भी अधिकारी पुराने संस्थान से हटने के बाद तुरंत नई भूमिका में नहीं जा सकेगा. इससे हितों के टकराव की संभावना कम होगी.
कमेटियों की कमान पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर्स को
अब महत्वपूर्ण कमेटियों की अध्यक्षता पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर्स (Public Interest Directors) के पास होगी. इसके अलावा, हर 3 साल में किसी बाहरी एजेंसी से इन कमेटियों का मूल्यांकन (एसेसमेंट) कराना भी जरूरी होगा. इससे कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी.
रिपोर्ट और ऑडिट के नए नियम बनाए
सेबी की तरफ से वित्त वर्ष 2024-25 (FY 2024-25) की रिपोर्ट 30 सितंबर 2025 तक देना अनिवार्य कर दिया गया है. हर साल बाजार संस्थानों (MIIs) को स्वतंत्र आंतरिक ऑडिट कराना जरूरी होगा.
क्या है सेबी का मकसद?
सेबी का यह कदम बाजार संस्थानों में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता को बढ़ाने के लिए उठाया गया है. इन नए नियमों से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और बाजार व्यवस्था और मजबूत होगी.
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