क्या अपने भगवान के लिए बोलना गुनाह है? यह बगावत है, तो हां मैं बागी हूं…सपा से निष्कासित किए जाने के बाद बोले राकेश प्रताप सिंह

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई की है। अखिलेश यादव ने बागी विधायकों को पार्टी से निकाल दिया है। बागी विधायक राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह और मनोज कुमार पांडेय पर कार्रवाई की है। समाजवादी पार्टी की इस कार्रवाई के बाद राकेश प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें उन्होंने समाजवादी पार्टी को “समाप्तवादी पार्टी” कहा है। साथ ही कहा, क्या अपने भगवान के लिए बोलना गुनाह है? यह बगावत है, तो हां मैं बागी हूं।

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राकेश प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि, “राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम…” जिस सनातन धर्म में मेरा जन्म हुआ, जिसमें मैंने जीवन के आदर्श सीखे, सेवा का भाव पाया, और सभी जाति-मजहब को साथ लेकर चलने की सीख प्राप्त की-उस धर्म के प्रति मेरी निष्ठा अटूट है। यह वही सनातन धर्म है, जिसके अनुयायी इस देश में 120 करोड़ से अधिक हैं, और जिसकी जड़ें इस देश की संस्कृति, सभ्यता और आत्मा में गहराई से बसी हुई हैं।

किन्तु आज दुर्भाग्यवश, समाजवादी पार्टी अपने तुच्छ राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए प्रभु श्रीराम और सनातन धर्म को अपमानित करने से भी नहीं हिचक रही है। किसी एक धर्म विशेष को प्रसन्न करने की लालसा में, वे बार–बार सनातन पर प्रहार कर रहे हैं, अपशब्द कह रहे हैं, और धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं।

यह वही पार्टी है, जो कभी डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों की बात करती थी-वही लोहिया जी जो रामायण मेला आयोजित करवाने की बात करते थे, जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और धर्म के प्रति समर्पित थे। वे मानते थे कि प्रभु श्रीराम समस्त भारतीय समाज को जोड़ने वाले सांस्कृतिक प्रतीक हैं। लेकिन आज की समाजवादी पार्टी उस लोहिया के विचारों से पूरी तरह भटक चुकी है। आज वही पार्टी राम मंदिर मे प्रभु श्री राम के दर्शन करने पर अपने नेताओं पर प्रतिबन्ध लगाती है। यह विचलन केवल राजनीतिक पतन नहीं है, यह वैचारिक दिवालियापन है।

उन्होंने आगे लिखा, मैं पूछना चाहता हूं-क्या अपने धर्म, अपने भगवान के लिए बोलना गुनाह है? यदि यह बगावत है, तो हां! मैं बागी हूं। मैं उस हर विचारधारा के विरुद्ध बगावत करता रहूंगा जो सनातन धर्म का अपमान करेगी। अखिलेश यादव जी ‘पीडीए’ की बात करते हैं – पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक…तो क्या यह वही सरकार नहीं थी जिसने दलित महापुरुषों के नाम पर स्थापित कई ज़िलों का नाम बदलकर अपनी दलित विरोधी मानसिकता को उजागर किया? हमारे जिले छत्रपति शाहू जी महाराज नगर का नाम बदलकर फिर से अमेठी करना केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि उन महापुरुषों और दलित समाज के सम्मान का अपमान था।

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वास्तविकता यह है कि न तो वे पिछड़ों के हैं, न दलितों के। उनका झूठा प्रेम सिर्फ़ वोटबैंक की राजनीति है। वे सिर्फ़ और सिर्फ़ सनातन विरोधियों के साथ हैं और यही उनकी असली पहचान है। समाजवादी पार्टी अब “समाप्तवादी पार्टी” बन चुकी है-जो न विचारधारा में स्थिर है, न आचरण में। धर्म, भगवान और हमारे शास्त्रों से ऊपर कोई नहीं है और जब कोई उनका अपमान करेगा, तब मेरा मौन रहना भी पाप होगा। मैं सनातन का सिपाही हूं, और सनातन पर आंच आने पर चुप नहीं रह सकता। मैं बोलूंगा, ललकारूंगा और अंत तक धर्म की रक्षा में खड़ा रहूंगा।

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