ईरान-इजरायल जंग का भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर कितना होगा असर?

Iran-Israel Crisis: ईरान और इजरायल के बीच जंग जारी है. इधर अमेरिका ने ईरान के संभावित परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया है. दूसरी तरफ से ईरान के सपोर्ट में रूस और चीन आते दिख रहे हैं. कुल मिलाकर जियो पॉलिटिकल सिचुएशन अभी ठीक नहीं है. ईरान ने धमकी दी है कि वह स्ट्रेट ऑफ होर्मुज (SoH) को बंद कर देगा. इस रास्ते से 20% ग्लोबल क्रूड ऑयल की सप्लाई होती है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इस क्राइसिस का भारत की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर किस तरह और कितना बड़ा असर होगा.

30% वर्ल्ड ऑयल ट्रेड स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से होता है

पूरी दुनिया में लगभग 100 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल की रोजाना जरूरत होती है. 30% वर्ल्ड ऑयल ट्रेड स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से होता है जिसमें 70% एशियाई देशों को सप्लाई किया जाता है. इसके अलावा  20%  ग्लोबल LNG सप्लाई भी इसी रास्ते से होता है. फिलहाल ईरान के पार्लियामेंट ने इस रास्ते को बंद करने की बात की है लेकिन आखिरी फैसला सुप्रीम लीडर को लेना है. हालांकि, उनके लिए भी यह फैसला आसान नहीं होगा क्योंकि गल्फ कंट्रीज की इकोनॉमी क्रूड ऑयल एंड नैचुरल गैस पर निर्भर है. ऐसे में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने से पड़ोसी मुल्क भी ईरान से नाराज हो सकते हैं. फिलहाल सुप्रीम लीडर के फैसले का इंतजार करना चाहिए.

क्रूड 10 डॉलर महंगा, ट्रेड डेफिसिट 30bps तक बढ़ जाता है

इलारा कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद कर दिया जाता है और FY26 में यह स्थिति लंबे समय तक रहती है तो ग्लोबल मार्केट में क्रूड का भाव तेजी से भागेगा. भारत अपनी जरूरत का 85% क्रूड आयात करता है. अगर इसकी कीमत 10 डॉलर बढ़ती है तो ट्रेड डेफिसिट GDP के मुकाबले 30bps तक बढ़ जाता है. अगर ऐसा होता है तो सरकार 2 रुपए की एक्साइज ड्यूटी वापस ले सकती है. हालांकि महंगे क्रूड से महंगाई जो अभी नियंत्रण में है वह बेकाबू हो सकती है. SoH का ग्लोबल ट्रेड में महत्वपूर्ण स्थान है. अगर यहां कुछ होगा तो ग्लोबल ट्रेड की स्थिति बिगड़ेगी जो ट्रंप के कारण पहले से ही बिगड़ा हुआ है.

रूस और अमेरिका से ज्यादा तेल खरीदने लगा भारत

ऑयल एंड गैस एक्सपर्ट ने कहा कि FY25 में भारत का 40% क्रूड ऑयल इंपोर्ट स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के रास्ते हुआ था. इंटरनेशनल गैस यूनियन के मुताबिक, कैलेंडर ईयर 2024 में भारत का 53% एलएनजी इंपोर्ट इसी रास्ते हुआ था. हालांकि, इंडियन रिफाइनरीज ने इंपोर्ट में डायवर्सिफिकेशन लाया है. जून में रूस से रोजाना 2.0-2.2mn बैरल क्रूड का आयात किया जा रहा है जो 2 सालों का उच्चतम स्तर है. अमेरिका से 4.39 लाख बैरल क्रूड रोजाना खरीदा जा रहा है जो मई में 2.80 लाख बैरल था. कुल मिलाकर अभी तक सप्लाई क्राइसिस नहीं है लेकिन स्ट्रेट ऑफ होर्मुज अगर बंद होता है और यह लंबे समय के लिए प्रभावित होता है तो असर निश्चित है.

महंगे क्रूड का ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर कितना असर?

बाजार पर असर की बात करें तो ऑयल एंड गैस सेक्टर, फर्टिलाइजर सेक्टर पर फोकस करना चाहिए. इलारा कैपिटल ने कहा कि अगर क्रूड 10 डॉलर महंगा होगा तो OMCs यानी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए गैसोलिन एंड डीजल पर मार्जिन 5.5  रुपए प्रति लीटर घट जाता है.वर्तमान में पेट्रोल पर OMCs का मार्जिन 7.9 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 4.3 रुपए प्रति लीटर है. अगर क्रूड 10 डॉलर महंगा होता है तो पेट्रोल पर मार्जिन घटकर 2.4 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर -1.2 रुपए प्रति लीटर का नुकसान होगा.

3 तरीके से भारत पर होता है असर

कोटक सिक्योरिटीज के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश शाह ने जी बिजनेस से खास बातचीत में बताया कि  ईरान क्राइसिस का भारत पर तीन तरह से असर होगा. भारत के लाखों लोग ईरान समेत अन्य गल्फ देशों में रहते हैं. युद्ध के कारण पैनिक हो सकता है जो खासकर ईरान में हैं. इससे इससे बिलियन डॉलर्स रेमिटेंस पर डायरेक्ट असर होगा जो ग्रोथ के लिए निगेटिव है. इसके अलावा क्रूड में तेजी आएगी जिससे महंगाई बढ़ेगी और सरकार का ट्रेड डेफिसिट बढ़ेगा. कुल मिलाकर ईरान समेत मिडिल ईस्ट में शांति देश और दुनिया दोनों के लिए जरूरी है.

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