भारतीय शेयर बाजार की दिशा अगले सप्ताह कई वैश्विक और घरेलू कारकों पर निर्भर करेगी. सबसे बड़ा प्रभाव इजरायल और ईरान के बीच जारी भू-राजनीतिक तनाव का रहेगा. इसके साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में हो रही उठापटक, विदेशी निवेशकों का रुख और अमेरिका के आर्थिक आंकड़े भी बाजार की चाल तय करेंगे.
इस सप्ताह कैसी थी बाजार की चाल?
इस सप्ताह शेयर बाजार ने पश्चिम एशिया के तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद मजबूती दिखाई. बीएसई सेंसेक्स शुक्रवार को 1,046 अंक चढ़कर 82,408 अंक पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 319 अंक बढ़कर 25,112 अंक पर पहुंच गया. पूरे सप्ताह की बात करें तो सेंसेक्स में कुल 1.58 प्रतिशत और निफ्टी में 1.59 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तेजी के बावजूद बाजार में आगे अस्थिरता रह सकती है. रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और शोध प्रमुख अजित मिश्रा के अनुसार, इस सप्ताह वैश्विक संकेतकों की भूमिका अहम होगी. उन्होंने कहा कि इजरायल-ईरान तनाव, अमेरिका के आर्थिक आंकड़े और फेडरल रिजर्व अधिकारियों की टिप्पणियां बाजार को दिशा देंगी.
क्या है मेन कारण?
उन्होंने यह भी जोड़ा कि घरेलू मोर्चे पर मानसून की प्रगति, मासिक डेरिवेटिव निपटान से जुड़ी अस्थिरता, कच्चे तेल की कीमतें और एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) की गतिविधियां भी बाजार पर असर डाल सकती हैं. जियोजीत इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि भू-राजनीतिक अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है. उन्होंने बताया कि अमेरिका की आगामी जीडीपी वृद्धि दर और व्यक्तिगत उपभोग खर्च (PCE) के आंकड़े भी निवेशकों के लिए अहम होंगे. इसके साथ ही भारत के खरीद प्रबंधक सूचकांक (PMI) के आंकड़ों पर भी नजर रहेगी. अमेरिका के विनिर्माण और सेवा पीएमआई, साथ ही इजरायल-ईरान संकट में आगे क्या होता है, इस पर निवेशकों की नजर होगी.
बता दें कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में अप्रैल में गिरावट आई थी, लेकिन मई में इसमें काफी तेजी रही. यह दिखाता है कि विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार में रुचि बनी हुई है. हालांकि जून में भू-राजनीतिक हालातों को देखते हुए बाजार में थोड़ा सतर्कता भरा लेकिन सकारात्मक रुख देखा जा सकता है.
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