केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation (CBI)) ने 183 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बैंक गारंटी से जुड़े एक बड़े वित्तीय घोटाले की जांच शुरू की है। यह कार्रवाई मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) के आदेश के बाद शुरू की गई है। यह मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड (Madhya Pradesh Jal Nigam Limited (MPJNL)) द्वारा प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्ल के लिए दिए गए कॉन्ट्रैक्ट्स से संबंधित है। एजेंसी द्वारा गुरुवार को जारी एक बयान के अनुसार, सीबीआई ने 9 मई को तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की है। ये इंदौर स्थित एक कंपनी द्वारा प्रस्तुत फर्जी गारंटी से संबंधित हैं, जिसने 2023 में MPJNL से तीन प्रमुख सिंचाई-संबंधी कॉन्ट्रैक्ट हासिल किये गये थे। इनकी कुल कीमत लगभग 974 करोड़ रुपये है।
प्रोजेक्ट्स को सुरक्षित करने के लिए कंपनी ने कुल 183.21 करोड़ रुपए की आठ जाली बैंक गारंटी जमा की। वेरीफिकेशन प्रोसेस के दौरान, MPJNL को पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank) के आधिकारिक डोमेन से गारंटी की पुष्टि करने वाले ईमेल प्राप्त हुए। हालांकि बाद में ये फर्जी पाए गए।
उन ईमेल के आधार पर, MPJNL ने कंपनी को लगभग 1,000 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट मंजूर किये। धोखाधड़ी के सामने आने के बाद, सीबीआई ने बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया। सीबीआई ने 19 और 20 जून को पांच राज्यों, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और झारखंड में 23 स्थानों पर छापे मार कर तलाशी अभियान चलाया।
सीबीआई ने बताया कि छापेमारी के दौरान कोलकाता से पंजाब नेशनल बैंक के एक वरिष्ठ प्रबंधक समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। दोनों को स्थानीय कोलकाता कोर्ट में पेश किया गया और ट्रांजिट रिमांड पर इंदौर लाया जा रहा है।
ANI से मिली जानकारी के मुताबिक शुरुआती जांच से पता चलता है कि इस घोटाले के पीछे कोलकाता स्थित एक गिरोह का हाथ है। हो सकता है कि यह गिरोह अन्य राज्यों में भी सरकारी ठेके हासिल करने के लिए इसी तरह की फर्जी गारंटी का इस्तेमाल कर रहा हो। इस मामले की जांच अभी भी जारी है।
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