Aamir khan :शूटिंग में स्पेशल बच्चों ने नहीं सबसे ज्यादा मैंने लिया था रीटेक

aamir khan :आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘सितारे जमीन पर’ 20 जनवरी को सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. यह फिल्म स्पोर्ट्स ड्रामा-कॉमेडी जॉनर की है. ऐसे लोगों की कहानी बयां करती है, जिनकी बौद्धिक क्षमताएं आम लोगों से अलग हैं और जिनके प्रति समाज हमेशा असंवेदनशील रहा है. यह फिल्म मनोरंजन के साथ-साथ एक गहरी सामाजिक संदेश भी देती है. फिल्म और इसकी शूटिंग से जुड़े कई दिलचस्प पहलुओं पर निर्माता और अभिनेता आमिर खान से हुई उर्मिला कोरी की बातचीत 

इस तरह से फिल्म की कास्टिंग की गयी

फिल्म ‘सितारे जमीन पर’स्पेशल बच्चों (न्यूरो डाइवरजेंस) की कहानी है. ऐसे में फिल्म की कास्टिंग और शूटिंग मुश्किल रही होगी. इस पर निर्माता व अभिनेता आमिर खान कहते हैं कि बिल्कुल भी मुश्किल नहीं थी. इन बच्चों को खोजने के लिए विशेष स्कूल से संपर्क किया गया था. एक कास्टिंग डायरेक्टर को काम पर रखा था. उन्होंने करीब 2500 ऑडिशन देखे, तब जाकर ये 10 सितारे चुने गये. इसमें करीब लगभग 11 महीने लगे. जहां तक बात शूटिंग और वर्कशॉप की है, तो मुझे लगता है कि सामान्य लोगों के साथ काम करने में हमें जितना समय लगता है, हमने उससे कम समय लिया. सभी बच्चों ने वर्कशॉप में ही डायलॉग का अभ्यास कर लिया था. हम सभी अपने डायलॉग को लेकर अच्छी तरह वाकिफ थे. हकीकत ये है कि सभी में मैंने ही सबसे ज्यादा टेक लिए और जब भी मैंने गलतियां कीं, तो खंडवा से आशीष नाम का एक लड़का जो सुनील का किरदार निभा रहा है, वह यह लाइन दोहराता था कि बड़े-बड़े लोगों से छोटी-छोटी गलतियां होती हैं. साथ ही मैं बताना चाहूंगा कि शूटिंग सेट पर अक्सर क्लैश होते रहते हैं. डायरेक्टर का डीओपी के साथ, कॉस्ट्यूम डिजाइनर का प्रोडक्शन यूनिट के साथ, लेकिन इस सेट पर ऐसा एक भी क्लैश नहीं हुआ. इसकी वजह 10 बच्चे थे. ये सेट पर बहुत ऊर्जा के साथ आते थे और हमेशा बहुत खुश रहते थे. हर दिन सेट पर वे सभी को गले लगाते और चूमते थे. वे काम करने के लिए इतने उत्साहित होते थे कि वह ऊर्जा चारों ओर फैल जाती थी और कोई भी लड़ाई या चीख-पुकार नहीं करता था. वे न्यूरो डायवर्जेंट लोग हैं और इन्होंने हमें बेहतर तरीके से व्यवहार करने के लिए प्रेरित किया.

बच्चों के लिए सिनेमा का बाजार तैयार करने पर फोकस

‘सितारे जमीन पर’आमिर खान की मौजूदगी के बावजूद बच्चों की फिल्म है. निर्माता और अभिनेता आमिर इस पहलू को बहुत खास बताते हैं. उनका मानना है कि बतौर फिल्म निर्माता हम बच्चों के लिए बहुत कम फिल्में बना रहे हैं. मैंने बच्चों के नजरिये से फिल्में बनाने की कोशिश की है-चाहे वह ‘हम हैं राही प्यार के’हो या ‘तारे जमीन पर.’यह दुखद है कि हम बच्चों के लिए बहुत कम फिल्में बना रहे हैं.मैं इस सोच से असहमत हूं कि बच्चों की फिल्मों के लिए कोई बाजार नहीं है. अगर बच्चे हैं, तो बाजार क्यों नहीं है? बच्चे डिज्नी की फिल्में देखते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि हमारे पास कंटेंट की कमी है, बल्कि हम उनके लिए कुछ बना ही नहीं पा रहे हैं. वे हमारा भविष्य हैं और हम उन्हें केवल विदेशी फिल्मों का डब कंटेंट परोस रहे हैं. आमिर खान फिल्म्स अब बच्चों के लिए खास तौर पर भारतीय मूल के कंटेंट पर फोकस करने जा रहा है. हालांकि, ‘सितारे जमीन पर’की रिलीज उस समय हो रही है, जब स्कूलों की छुट्टियां खत्म हो चुकी हैं, फिर भी मुझे भरोसा है कि बच्चे इस फिल्म को देखने के लिए जरूर वक्त निकालेंगे.

यूट्यूब और ओटीटी पर नहीं होगी रिलीज

फिल्म ‘सितारे जमीन पर’को लेकर एक अरसे से यह चर्चा चल रही थी कि थिएटर के बाद यह ओटीटी पर नहीं, यूट्यूब पर पे पर व्यू के साथ रिलीज होगी, लेकिन आमिर इन सभी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि यह कहां से आया. मेरी फिल्म सिर्फ थिएटर के लिए है और थिएटर में ही रिलीज होगी. मुझे नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा, लेकिन मैं सिनेमा और थिएटर का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं, लेकिन मैं आज जिस मुकाम पर पहुंचा हूं, वह सिनेमा और थिएटर की वजह से ही है. मैं इसके प्रति काफी वफादार हूं. ओटीटी भी एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है, लेकिन मेरे लिए सिनेमा पहले नंबर पर है और मैं सिनेमा के लिए ही फिल्में बनाऊंगा. मैं इसके लिए आखिरी दिन तक लड़ूंगा.

‘तारे जमीन पर’की इस वजह से बनी है सीक्वल

साल 2007 में आयी आमिर खान और दर्शील की फिल्म‘तारे जमीन पर’ को अब ‘सितारे जमीन पर’का सीक्वल कहा जा रहा है. इस पर आमिर कहते हैं कि यह भुनाने के लिए नहीं, बल्कि स्वाभाविक रूप से ‘तारे जमीन पर’ का सीक्वल है. ‘तारे जमीन पर’ में एक शिक्षक एक विशेष बच्चे की मदद करता है, जबकि ‘सितारे जमीन पर’ में बच्चे कोच को बदलते हैं. वहां निकुंभ, इशांत की यात्रा में मदद करता है, लेकिन यहां कहानी उलट है. यहां बच्चे मुख्य नायक हैं. ऐसे दस बच्चे, जिन्हें दुनिया कमजोर समझती है, वही फिल्म के असली हीरो हैं और कोच के नजरिये को पूरी तरह बदल देते हैं. आमिर कहते हैं, वैसे इस फिल्म का जो बुरा किरदार है, वो मेरा है. वह करके मुझे बहुत मजा आया, क्योंकि फिल्म हो या निजी जिंदगी, मुझे बदतमीज बनने का मौका नहीं मिला है. यह मेरी परवरिश में नहीं है. मेरी मां ने मुझे ऐसे ही पाला है. उन्होंने हमें सही चीजें ही सिखाया है और मैं असल जिंदगी में किसी से भी बदतमीजी से बात नहीं कर सकता. मैं इस फिल्म में हर मोड़ पर बदतमीज हूं, इसलिए मुझे यह पसंद आया.

स्पैनिश फिल्म ‘चैंपियन’का रीमेक है यह फिल्म

‘तारे जमीन पर’अमोल गुप्ते की ओरिजिनल कहानी थी, जबकि ‘सितारे जमीन पर’स्पैनिश फिल्म ‘चैंपियन’ का रीमेक है.आमिर इस खबर की पुष्टि करने के साथ यह भी कहते हैं कि स्पेनिश फिल्म को कितने लोगों ने देखी है. गिने-चुने लोगों ने देखी है. इतनी अच्छी कहानी सभी को देखनी चाहिए. जिस थीम पर यह फिल्म है, यह भारत के लिए भी जरूरी विषय है. इस पर सार्वजनिक चर्चा होनी चाहिए कि न्यूरो टाइपिकल क्या है और हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए. मैं बहुत क्लियर हूं कि मैंने सही काम किया है. सोशल मीडिया पर कट-कॉपी-पेस्ट वाली जो बात आ रही है, वो ट्रॉल्लिंग ग्रुप्स हैं. कट-कॉपी-पेस्ट ही करना है, तो आप ही कर लो.

इस वजह से आमिर ने नहीं किया फिल्म का निर्देशन

‘तारे जमीन पर’की शूटिंग के वक्त निर्देशक अमोल गुप्ते और आमिर खान में क्रिएटिव दूरियां इस कदर बढ़ गयी थीं कि अमोल को फिल्म छोड़नी पड़ी थी और आमिर खान ने फिल्म को निर्देशित भी किया था. ‘सितारे जमीन पर’के निर्देशक प्रसन्ना हैं. आमिर बताते हैं कि ‘तारे जमीन पर’ एक संकट की स्थिति में थी, इसलिए मैंने उसका निर्देशन किया, पर मैं दिल से एक अभिनेता हूं. जब मैं कोई फिल्म निर्देशित करूंगा, तो मैं अपना पूरा समय उसमें लगाऊंगा. मैं तब अभिनय नहीं करूंगा, क्योंकि अभिनय नीरस हो जाता है. मैं निर्देशन के विचार को लगातार टाल रहा हूं, क्योंकि मैं अभिनय में पूरी तरह से व्यस्त हूं. एक बार जब मैं निर्देशक बन जाऊंगा, तो मैं अभिनय छोड़ दूंगा.

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