kailash mansarovar yatra begins after 5 years green basti for the group from nathula

Kailash Mansarovar Yatra 2025: पांच साल के लंबे इंतज़ार के बाद, एक बार फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत हो गई है. यह यात्रा शुक्रवार को नाथुला दर्रे से शुरू हुई, जहां से पहले जत्थे को रवाना किया गया. इस जत्थे में 33 श्रद्धालु हैं, जिनके साथ आईटीबीपी के दो अधिकारी और एक डॉक्टर भी जा रहे हैं. कुल मिलाकर 36 लोग इस पवित्र यात्रा पर निकले हैं.

कैलाश मानसरोवर का धार्मिक महत्व:
कैलाश पर्वत को भगवान शिव का घर माना जाता है. हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि यहां जाने से मोक्ष यानी मुक्ति मिलती है. जैन धर्म के अनुसार, यही वह जगह है जहां ऋषभदेव को मोक्ष मिला था. बौद्ध धर्म में इसे चक्रसंवारा देवता का स्थान माना जाता है. तिब्बती बोन धर्म के लोग मानते हैं कि यहां पवित्र आत्माएं रहती हैं. इस तरह, यह यात्रा सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि कई धर्मों को जोड़ने वाली एक आध्यात्मिक यात्रा है.

राज्यपाल का संदेश:
सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि यह हमारी संस्कृति और आस्था का बहुत खास पल है. उन्होंने कहा कि इस यात्रा से लोग अपने अंदर झाँकने का मौका पाएंगे और यह हमें हमारी परंपराओं से जोड़ती है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी धन्यवाद दिया कि उनके प्रयासों से यह यात्रा दोबारा शुरू हो पाई.

तीर्थयात्रियों की तैयारी:
इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को खास तैयारी करनी पड़ती है. उन्हें पहले 18वें मील पर रुकना पड़ता है और फिर शेरथांग में रुकना पड़ता है ताकि वे अपने शरीर को ऊंचाई के अनुकूल बना सकें. इससे उनका शरीर 14,000 फीट से ऊपर की कठिन परिस्थितियों के लिए तैयार हो जाता है. तीर्थयात्री शालंदा शर्मा ने कहा, “मैं कई सालों से भगवान शिव के दर्शन की इच्छा रखता था. अब वह सपना सच हो रहा है. यह मेरे लिए सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि पूजा और तपस्या का एक रूप है.”

धर्म और पर्यटन एक साथ सिक्किम के पर्यटन मंत्री शेरिंग थेंडुप भूटिया ने कहा कि इस यात्रा से सिक्किम में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि नाथुला अब सिर्फ एक बॉर्डर नहीं रहा, यह एक पवित्र तीर्थ स्थान बन गया है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा का फिर से शुरू होना केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि धार्मिक भावना और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक है। यह यात्रा लोगों को ईश्वर से जुड़ने, खुद को जानने और मन की शांति पाने का रास्ता देती है.

हर हर महादेव।
ॐ नमः शिवाय।

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