मोदी सरकार सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए जातिगत जनगणना में कर रही देरी, जैसे महिला आरक्षण के साथ किया : सचिन पायलट

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने AICC मुख्यालय में प्रेसवार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि, कांग्रेस पार्टी और नेता विपक्ष राहुल गांधी जी ने लंबे समय से मांग रखी थी कि देश में जब भी जनगणना हो, उसमें जातिगत जनगणना कराई जाए। राहुल गांधी जी ने यह मांग लगातार सड़क से लेकर संसद तक उठाई है। इस मांग का मुख्य उद्देश्य यह है कि जब हमारे पास आंकड़े होंगे, तभी हम देश के हर वर्ग, हर व्यक्ति को नीति निर्माण से जोड़ सकेंगे और उन्हें इसका फायदा मिल पाएगा।

पढ़ें :- जनकल्याण से सीधे तौर पर जुड़ा जनगणना का कार्य देशहित में समय से ईमानदारी पूर्वक चाहिए होना : मायावती

उन्होंने आगे कहा, जातिगत जनगणना का उद्देश्य यह भी जानना है कि, देश में अलग-अलग वर्ग के लोग किन स्थितियों में रह रहे हैं? लोग सरकार की योजनाओं का लाभ ले पा रहे हैं या नहीं? लोगों की देश और संस्थाओं में कितनी भागीदारी है? देश के लोगों की शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति क्या है? साथ ही कहा, BJP और नरेंद्र मोदी ने कई बार कहा कि, जातिगत जनगणना की मांग उठाने वाले लोग अर्बन नक्सल हैं। मोदी सरकार ने संसद में जवाब दिया कि हम जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन भारी विरोध के बाद सरकार ने अचानक हमारी मांग को मानते हुए जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया। हालांकि, अब एक बार फिर से जातिगत जनगणना कराने की बात से पीछे हटने को लेकर हमें सरकार की नीयत पर शक है।

साथ ही कहा, भारत में जनगणना बहुत पहले से होती आ रही है। भारत की सरकारों ने अनुभव और समझदारी से जनगणना करवाई है। लेकिन आप BJP सरकार की नीयत देखिए-जहां जनगणना कराने में 8-10 हजार करोड़ रुपए खर्च होते हैं, वहां सरकार ने 570 करोड़ रुपए बजट में आवंटित किए हैं। सरकार लोगों के सामने कह रही है कि वह जातिगत जनगणना कराएगी, लेकिन औपचारिक नोटिफिकेशन से यह बात गायब है। जातिगत सर्वे का काम तेलंगाना सरकार ने बहुत बेहतरीन तरीके से किया है। उन्होंने अपने सर्वे के लिए सरकारी अफसरों को ना लेकर NGO और टेक्निकल लोगों को जोड़ा। जातिगत जनगणना पहला पड़ाव है, जिससे हमें लोगों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति पता चलेगी, लेकिन मोदी सरकार की मंशा जातिगत जनगणना करवाने की नहीं दिख रही है।

सचिन पायलट ने कहा, जनगणना कराने में करीब 10 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। जबकि सरकार ने 2025-26 के बजट में सेंसस कमिश्नर के ऑफिस को-जिस पर जनगणना कराने की जिम्मेदारी होती है-सिर्फ 570 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है। मोदी सरकार सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए जातिगत जनगणना में देरी कर रही है। ये वैसा ही कदम है, जैसे महिला आरक्षण के साथ किया गया। हमारा कहना है कि सरकार को इसपर राजनीति बंद कर प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए और राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना के लिए ‘तेलंगाना मॉडल’ को अपनाना चाहिए। इसके अलावा, सरकार को बजट आवंटन पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि जनगणना के लिए 570 करोड़ रुपए का बजट बहुत ही कम है।

 

पढ़ें :- अच्छे दिन के बजाय कर्ज वाले दिन आ गए….जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

Read More at hindi.pardaphash.com