फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग करने वालों के लिए एक बड़ी खबर है। निफ्टी की एक्सपायरी अब तक गुरुवार को होती रही है। लेकिन अब देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) ने आधिकारिक रूप से डेरिवेटिव्स एक्सपायरी के दिन में बदलाव करने का ऐलान कर दिया है। NSE ने बताया कि अब उसने अपने इंडेक्स डेरिवेटिव्स की वीकली एक्सपायरी को मंगलवार को रखने का फैसला किया है, न कि गुरुवार को जैसा कि अभी तक होता आया था। दूसरी ओर, BSE ने भी पुष्टि की है कि अब निफ्टी की जगह गुरुवार को उसके सेंसेक्स डेरिवेटिव्स की वीकल एक्सपायरी हुआ करेगी। BSE और NSE दोनों को ही इसके लिए मार्केट रेगुलेटर SEBI से मंजूरी मिल गई है।
क्या है पूरा मामला?
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने BSE और NSE दोनों को अपने एक्सपायरी के दिन में बदलाव करने की मंजूरी कर दी है। इसके तहत NSE पर अब वीकली एक्सपायरी मंगलवार को होगी और बीएसई पर वीकली एक्सपायरी गुरुवार को होगी। इस बदलाव के लिए SEBI के सेकेंडरी मार्केट एडवाइजरी कमेटी ने सिफारिश दी थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। लेकिन ये बदलाव 1 सितंबर 2025 के बाद होने वाल नए कॉन्ट्रैक्ट्स पर लागू होगे।
1 सितंबर 2025 से लागू होगा नया नियम
अभी जो कॉन्ट्रैक्ट्स चल रहे हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं होगा। यानी 31 अगस्त 2025 तक के सभी मौजूदा डेरिवेटिव्स पहले के एक्सपायरी शेड्यूल के मुताबिक ही पूरे होंगे। लेकिन 1 सितंबर 2025 के बाद से NSE के नए कॉन्ट्रैक्ट्स मंगलवार को और BSE के कॉन्ट्रैक्ट्स गुरुवार को एक्सपायर होंगे। इस बीच मनीकंट्रोल को यह भी जानकारी मिली है, सेबी ने Metropolitan Stock Exchange (MSE) को भी मंगलवार को एक्सपायरी रखने की इजाजत दे दी है, लेकिन उसने अभी अपनी शुरुआत की तारीख तय नहीं की है।
NSE बनाम BSE: किसे फायदा, किसे नुकसान?
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है इस कदम से NSE को फायदा हो सकता है। उसकी गिरती डेरिवेटिव्स मार्केट हिस्सेदारी में कुछ इजाफा हो सकता है। पिछले कुछ महीनों में BSE के Sensex derivatives में जबरदस्त तेजी देखने को मिली थी, जिससे NSE पर दबाव बना था। BSE का FY25 में एवरेज डेली प्रीमियम टर्नओवर ₹11,782 करोड़ के साथ रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
गोल्डमैन सैक्स ने BSE को ‘न्यूट्रल’ रेटिंग दी
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि SEBI का यह फैसला BSE के लिए एक ‘बाइनरी इवेंट’ हो सकता है, जिसमें फायदा सीमित लेकिन नुकसान काफी बड़ा हो सकता है। ब्रोकरेज ने BSE पर ‘न्यूट्रल’ रेटिंग बरकरार रखी है और शेयर का टारगेट प्राइस ₹2,490 तय किया है।
गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, “अगर BSE अपनी मंगलवार एक्सपायरी बनाए रखता, तो उसकी मार्केट हिस्सेदारी लगभग स्थिर रहती। लेकिन अब गुरुवार को शिफ्ट होने के कारण उसे लगभग 3 प्रतिशत मार्केट शेयर गंवाना पड़ सकता है। इससे इंडेक्स ऑप्शन के औसत डेली वॉल्यूम (ADP) में 13% की गिरावट आ सकती है और कंपनी के अर्निंग प्रति शेयर (EPS) पर 8% का नेगेटिव असर पड़ सकता है।”
क्या होता है एक्सपायरी?
वैसे अगर आपको एक्सपायरी का मतलब नहीं पता है तो बता दें कि एक्सपायरी शेयर बाजार में उस तारीख को कहते हैं जब किसी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट (जैसे ऑप्शन या फ्यूचर्स) की वैधता खत्म हो जाती है। उस एक्सपायरी की तारीख तक ट्रेडर्स को या तो उस कॉन्ट्रैक्ट को बेचना होता है, या उसका सेटलमेंट करना होता है। एक्सपायरी के दिन इन कॉन्ट्रैक्ट्स की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव देखा जाता है क्योंकि कई निवेशक अपनी पोजिशन क्लोज करते हैं या रोलओवर करते हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए फैसले से ट्रेडिंग वॉल्यूम्स में बंटवारा होगा, जिससे वीकली ऑप्शन्स ट्रेडर्स को नए मौके मिलेंगे।
दोनों एक्सचेंजों पर अलग-अलग एक्सपायरी डे होने से हेजिंग और ट्रेडिंग स्ट्रैटेजीज में भी बड़ा बदलाव आएगा। कुल मिलाकर NSE और BSE में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग का नया दौर शुरू होने वाला है। बड़े निवेशक और ऑप्शन्स ट्रेडर्स इस बदलाव को करीब से देख रहे हैं। आने वाले महीनों में इसके असर का दायरा और स्पष्ट होगा।
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