नई दिल्ली। केंद्र सरकार ऐलान किया है कि भारत की जनसंख्या की जनगणना वर्ष 2027 के दौरान की जाएगी। इसके लिए सोमवार को राजपत्र अधिसूचना जारी (Gazette Notification Issued) कर दी गई है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने रविवार को जनगणना कराने की तैयारियों की समीक्षा की थी। उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन (Union Home Secretary Govind Mohan) , महापंजियन एवं जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण (Mahapanjiyan and Census Commissioner Mrityunjay Kumar Narayan) सहित अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की थी। सरकारी बयान के अनुसार, यह जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। इसके लिए मोबाइल एप तैयार किए जाएंगे और उसी में जनगणना से जुड़ी सभी जानकारी एकत्र की जाएगी। एप 16 भाषाओं में उपलब्ध होंगे।
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16th Census : गृह मंत्रालय ने जनगणना की अधिसूचना जारी की, 35 लाख कर्मी डिजिटली काम करेंगे, 16 भाषाओं में मोबाइल एप pic.twitter.com/V0XMnNoyNu
— santosh singh (@SantoshGaharwar) June 16, 2025
गृह मंत्री शाह ने बताया था, ’16वीं जनगणना में पहली बार जाति गणना शामिल होगी। 34 लाख गणक और सुपरवाइजर, 1.3 लाख जनगणना पदाधिकारी आधुनिक मोबाइल और डिजिटल उपकरणों के साथ यह कार्य करेंगे। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख और हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में 1 अक्तूबर, 2026 से और देश के बाकी हिस्से में 1 मार्च, 2027 से जातियों की गणना और जनगणना का कार्य शुरू होगा।’
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दो चरणों में की जाएगी जनगणना
जनगणना दो चरणों में की जाएगी। पहले चरण यानी मकान सूचीकरण और मकानों की गणना (एचएलओ) में प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं का विवरण एकत्र किया जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण (जनसंख्या गणना) में प्रत्येक घर के हर व्यक्ति की जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य विवरण एकत्र किए जाएंगे।
आजादी के बाद 8वीं जनगणना
यह जनगणना भारत की16वीं तथा स्वतंत्रता के बाद की 8वीं जनगणना होगी। इस बार जनगणना डिजिटल माध्यम से मोबाइल एप्लिकेशन के जरिये की जाएगी। नागरिकों के लिए स्व-गणना (सेल्फ-एन्यूमरेशन) की सुविधा भी उपलब्ध होगी। डाटा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संग्रह, संचरण और भंडारण के दौरान कड़े सुरक्षा उपाय किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि पिछली जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी और यह जनगणना 16 वर्षों के अंतराल के बाद होगी।
जनगणना के बाद परिसीमन
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जनगणना की पूरी प्रक्रिया एक मार्च 2027 तक खत्म हो जाएगी, जो लगभग 21 महीनों में पूरी होगी। जनगणना का प्राइमरी डेटा मार्च 2027 में जारी हो सकता है, जबकि डिटेल डेटा जारी होने में दिसंबर 2027 तक का वक्त लगेगा। इसके बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन 2028 तक शुरू हो सकता है। इस दौरान महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण भी लागू किया जा सकता है। यानी 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले-पहले महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की तस्वीर साफ हो सकती है।
जनगणना के बाद परिसीमन आयोग का गठन किया जाएगा ताकि आबादी के हिसाब से लोकसभा सीटों का बंटवारा हो सके। इसे लेकर दक्षिण के राज्यों में परेशानी बढ़ी हुई है क्योंकि वहां उत्तर भारतीय राज्यों के मुकाबले आबादी कम है। ऐसे में उन्हें डर हैं कि सीटें घट जाने से लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व कम हो सकता है। ऐसे में सरकार को परिसीमन पर काफी विचार-विमर्श करना होगा। हालांकि सरकार ने भरोसा दिया है कि परिसीमन की प्रक्रिया में दक्षिणी राज्यों की चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा।
जनगणना में हर एक से पूछे जाते हैं ये सवाल देश में जनगणना दो मुख्य फेज में कराई जाती है, हाउसिंग सेंसस और पॉपुलेशन सेंसस। इस बार यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल तकनीक पर आधारित होगी, जिसमें मोबाइल ऐप्स और स्व-गणना (Self-Enumeration) का विकल्प भी शामिल है। जनगणना शुरू होने से पहले, जिला, तहसील और पुलिस थानों जैसी प्रशासनिक इकाइयों अपनी तैयारियां कर लेती हैं। यह प्रक्रिया 31 दिसंबर 2024 तक पूरी हो चुकी होगी।
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