Stock Market Outlook: शेयर बाजार ने 13 जून को खत्म हुए सप्ताह में अपनी पिछली सारी बढ़त गंवा दी और 1 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट के साथ बंद हुआ। इसकी सबसे बड़ी वजह इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव था। इसने अमेरिका–चीन व्यापार वार्ता में प्रगति को भी पीछे छोड़ दिया। तेल की कीमतों में तेजी से महंगाई के फिर बढ़ने की आशंका ने भी बाजार की भावना को दबाव में डाला।
विशेषज्ञों का मानना है कि 16 जून से शुरू होने वाले नए सप्ताह में भी बाजार सतर्क रुख ही अपनाएगा। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका का कहना है कि कमजोर ग्लोबल संकेतों के कारण बाजार दबाव में रह सकता है, लेकिन अलग-अलग सेक्टरों में खास खबरें चाल बनाए रखेंगी।
जियोजित इनवेस्टमेंट्स के रिसर्च हेड विनोद नायर भी बाजार में सतर्कता का माहौल बने रहने की बात कहते हैं। अब सबकी नजर फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक पर है।
आइए जानते हैं उन 10 अहम फैक्टर के बारे में, जो 16 जून (सोमवार) से शुरू हो रहे हफ्ते में बाजार की दिशा और दशा को तय करेंगे।
इजरायल-ईरान तनाव पर नजर
शेयर बाजार के निवेशकों की नजर इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव पर रहेगी, क्योंकि दोनों देशों के बीच लगातार तीसरे दिन मिसाइल हमले हुए हैं। इससे पूरे क्षेत्र में व्यापक युद्ध की आशंका बढ़ गई है। इजरायल ने तेहरान स्थित ईरानी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय, अन्य सरकारी भवनों, न्यूक्लियर साइट्स और तेल टैंकरों को निशाना बनाया। इजरायल का दावा है कि ये सभी ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े हैं। जवाब में ईरान ने भी इजरायल की ऊर्जा संबंधित संरचनाओं को निशाना बनाया।
इन घटनाओं के चलते ओमान में होने वाली अमेरिका–ईरान न्यूक्लियर वार्ता भी रद्द कर दी गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस संघर्ष को खत्म करने के पक्ष में हैं, लेकिन ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने मौजूदा हालात में किसी भी वार्ता से इनकार किया है। वहीं, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आने वाले दिनों में और भी सख्त कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
इस बीच, कच्चे तेल की कीमतों पर भी सभी की नजर रहेगी। तेल की कीमतें भारत जैसे आयातक देशों के लिए खासतौर पर चिंता का विषय होती हैं, क्योंकि इससे महंगाई बढ़ सकती है। बीते सप्ताह ब्रेंट क्रूड 11.67% चढ़कर 74.23 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। यह अक्टूबर 2022 के बाद की सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़त है। अगर तनाव और बढ़ता है तो विशेषज्ञ कीमतों के 80 डॉलर तक जाने की संभावना जता रहे हैं।
फेडरल रिजर्व रेट कट पर नजर
इजरायल-ईरान तनाव के अलावा, वैश्विक निवेशकों की नजर अगली सप्ताह होने वाली प्रमुख केंद्रीय बैंकों की बैठकों पर रहेगी- फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC), बैंक ऑफ जापान और बैंक ऑफ इंग्लैंड।
ज्यादातर अर्थशास्त्री उम्मीद कर रहे हैं कि 18 जून की बैठक में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा और यह 4.5 प्रतिशत पर बनी रहेगी। लेकिन फेड की टिप्पणी और आर्थिक अनुमानों पर सभी की नजर रहेगी, खासकर तब जब हाल ही में व्यापार शुल्क और टैरिफ्स की बातें फिर उठी हैं। मई महीने की महंगाई और स्थिर जॉब डेटा के बाद ट्रंप प्रशासन फेड पर दबाव बना रहा है कि वह ब्याज दरों में और कटौती करे ताकि मंदी या स्टैगफ्लेशन से बचा जा सके।
जापान और इंग्लैंड की पॉलिसी मीटिंग
बैंक ऑफ जापान और बैंक ऑफ इंग्लैंड की मौद्रिक नीति बैठकें अगले हफ्ते 17 और 19 जून को होंगी, और दोनों के दरें स्थिर रखने की उम्मीद है। इसकी वजह अमेरिका की टैरिफ पॉलसिी को लेकर बना अनिश्चित माहौल है। पिछली बैठकों में, जापान के सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरें 0.5 प्रतिशत पर बरकरार रखी थीं, जबकि इंग्लैंड के केंद्रीय बैंक ने बैंक रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करते हुए उसे 4.25 प्रतिशत कर दिया था।
ग्लोबल इकोनॉमिक डेटा
अगले हफ्ते बाजार की नजर अमेरिका से आने वाले मासिक रिटेल सेल्स, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन, बिजनेस इन्वेंट्री और साप्ताहिक जॉब्स डेटा पर भी रहेगी। साथ ही, यूरोप, यूनाइटेड किंगडम और जापान के मई महीने के महंगाई आंकड़े और चीन के रिटेल सेल्स, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और बेरोजगारी दर के आंकड़े भी बाजार की दिशा तय करेंगे।
डोमेस्टिक इकोनॉमिक डेटा
घरेलू मोर्चे पर, 16 जून को मई महीने की थोक महंगाई दर (WPI), पैसेंजर व्हीकल्स की बिक्री और व्यापार घाटे के आंकड़े जारी होंगे। इसके अलावा, 6 जून को हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक के मिनट्स, 6 जून को खत्म पखवाड़े की बैंक लोन और डिपॉजिट ग्रोथ, 13 जून को समाप्त सप्ताह के विदेशी मुद्रा भंडार और 20 जून को जारी होने वाला इंफ्रास्ट्रक्चर आउटपुट डेटा भी फोकस में रहेगा।
FII का रुख, रुपये का हाल
निवेशक विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की गतिविधियों और भारतीय रुपये की डॉलर के मुकाबले चाल पर भी नजर रखेंगे। FII ने बीते सप्ताह कैश सेगमेंट में कुल ₹1,246.5 करोड़ के शेयर बेचे, जिससे बाजार में बिकवाली का दबाव बना रहा। इसके मुकाबले, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने ₹18,637 करोड़ के शेयर खरीदे। महीने के स्तर पर भी यही ट्रेंड दिखा। FII ने ₹4,812 करोड़ के शेयर बेचे, जबकि डीआईआई ने ₹44,151 करोड़ के शेयर खरीदे।
इस बीच, रुपया लगातार तीसरे हफ्ते डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ और 0.41 प्रतिशत गिरकर 86.09 के स्तर पर बंद हुआ। अमेरिका के 10 साल के ट्रेजरी यील्ड्स 2.2 प्रतिशत गिरकर 4.409 प्रतिशत पर पहुंच गए। डॉलर इंडेक्स भी चौथे हफ्ते 100 से नीचे बना रहा और 1.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 99.138 पर बंद हुआ।
IPO बाजार का हाल
प्राइमरी मार्केट में भले ही भू-राजनीतिक तनाव के चलते सतर्कता हो, लेकिन अगले सप्ताह दलाल स्ट्रीट पर हलचल बनी रहेगी क्योंकि छह नए आईपीओ लॉन्च होने वाले हैं। इनमें एक मेनबोर्ड से और पांच SME सेगमेंट से हैं। इसके अलावा, पांच कंपनियों की बाजार में लिस्टिंग भी होगी।
मेनबोर्ड से कंस्ट्रक्शन मटेरियल कंपनी Arisinfra Solutions का ₹499.6 करोड़ का आईपीओ 20 जून को खुलेगा, जिसका प्राइस बैंड ₹210–₹222 प्रति शेयर है।
SME सेगमेंट में Patil Automation और Samay Project Services के पब्लिक इश्यू 16 जून को खुलेंगे। इसके बाद, Eppeltone Engineers का आईपीओ 17 जून को, Influx Healthtech का 18 जून को और Mayasheel Ventures का 20 जून को लॉन्च होगा।
वहीं, मेनबोर्ड की कंपनी Oswal Pumps का आईपीओ 17 जून को बंद होगा और इसके शेयरों की लिस्टिंग 20 जून को होगी। SME सेगमेंट में Monolithisch India और Aten Papers & Foam के पब्लिक इश्यू क्रमशः 16 और 17 जून को बंद होंगे। Sacheerome, Jainik Power and Cables, Monolithisch India और Aten Papers & Foam के शेयरों की ट्रेडिंग अगले सप्ताह से शुरू होगी।
टेक्निकल नजरिया क्या कहता है?
टेक्निकल तौर पर देखें तो निफ्टी 50 फिलहाल 24,450 से 25,200 के चौड़े दायरे में है। इस दायरे के किसी भी ओर टूटने से ही अगली दिशा तय होगी। अगर यह 24,450 के नीचे decisively टूटता है तो गिरावट 24,000 तक जा सकती है। ऊपर की ओर देखें तो 25,000 के बाद 25,200 और फिर 25,450 अहम रेजिस्टेंस लेवल हैं। विशेषज्ञ फिलहाल सतर्कता की सलाह दे रहे हैं।
पिछले सप्ताह निफ्टी ने एक मंदी का कैंडल बनाया जिसमें नीचे के स्तरों पर थोड़ी खरीदारी दिखी। शुक्रवार को गैप-डाउन ओपनिंग के बाद इंडेक्स ने बुलिश कैंडल बनाई और 0.68 प्रतिशत की गिरावट के साथ लोअर बोलिंजर बैंड के पास बंद हुआ।
F&O सेगमेंट का हाल
साप्ताहिक ऑप्शन डेटा के अनुसार, 24,000 का स्तर गहरी गिरावट की स्थिति में अहम सपोर्ट रहेगा, जबकि नजदीकी सपोर्ट 24,500 पर है। वहीं, ऊपर की तरफ 25,000, 25,200 और 25,500 प्रमुख रेजिस्टेंस लेवल रहेंगे।
इस बीच, डर का सूचकांक India VIX लगातार गिरावट के बाद थोड़ा उछला और 3.08 प्रतिशत बढ़कर 15.08 पर पहुंच गया। जब तक यह 15 से नीचे नहीं रहता, तब तक बुल्स के लिए पूरी राहत नहीं मानी जाएगी।
कॉर्पोरेट एक्शन
अगले हफ्ते कई कंपनियों में डिविडेंड, स्टॉक स्प्लिट जैसे कॉर्पोरेट एक्शन होने वाले हैं। (देखें चार्ट)
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