Market outlook : इस उतार-चढ़ाव भरे हफ्ते में ब्रॉडर इंडेक्सों में मिलाजुला रुख देखने को मिला। बीएसई लार्ज-कैप और मिड-कैप इंडेक्सों में 1-1 फीसदी की गिरावट आई। हालांकि, स्मॉल-कैप इंडेक्स सपाट बंद हुआ। बीएसई सेंसेक्स 1,070.39 अंक या 1.3 फीसदी गिरकर 81,118.60 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 284.45 अंक या 1.13 फीसदी गिरकर 24,718.60 पर बंद हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) लगातार चौथे सप्ताह नेट सेलर बने रहे, उन्होंने ₹1,246.51 करोड़ मूल्य के शेयर बेचे। इसके विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने लगातार आठवें सप्ताह अपनी खरीदारी जारी रखी और ₹18,637.29 करोड़ मूल्य के शेयर खरीदे।
सेक्टोरल फ्रंट पर निफ्टी रियल्टी में 3 फीसदी की गिरावट आई, इसके बाद पीएसयू बैंक (-2.3 फीसदी), एफएमसीजी (-2 फीसदी), बैंक (-2 फीसदी) और मेटल (-1.5 फीसदी) का नंबर रहा। वहीं, दूसरी तरफ निफ्टी आईटी में 3 फीसदी की बढ़त हुई, जबकि मीडिया और फार्मा इंडेक्स में 1 फीसदी से अधिक की बढ़त हुई।
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बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स सपाट नोट पर बंद हुआ। अद्वैत एनर्जी ट्रांजिशन, रतनइंडिया एंटरप्राइजेज, एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज, जीओसीएल कॉरपोरेशन, सूरतवाला बिजनेस ग्रुप, मोटिसंस ज्वैलर्स, इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग्स, एक्सप्लियो सॉल्यूशंस, धानी सर्विसेज, सोमानी सेरामिक्स में 20-28 फीसदी की तेजी आई।
जबकि, साधना नाइट्रोकेम, ओरिएंट सीमेंट, डेक्कन गोल्ड माइंस, हर्ष इंजीनियर्स इंटरनेशनल और क्यूपिड में 10-22 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।
आगे कैसी रह सकती है बाजार की चाल
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा,”इस हफ्ते भारतीय शेयर बाजारों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अंततः ये लाल निशान में बंद हुआ। अमेरिका-चीन ट्रेड वार्ता में प्रगति से शुरुआत में कुछ उम्मीद बनी। लेकिन इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु केंद्रों पर हमला करने के बाद भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से बाजार का जोश ठंडा पड़ गया। इस घटना ने निवेशकों में जोखिम से बचने की भावना को भर दिया है। इससे सोने और अमेरिकी बॉन्ड जैसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में तेजी आई है। सप्लाई चेन में बाधा आने की आशंकाओं के फिर से उभरने के कारण तेल की कीमतें कई महीनों के कंसोलीडेशन के बाद 76 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चली गईं।”
“घरेलू मोर्चे पर,रिटेल महंगाई 75 महीने के निचले स्तर पर आ गई,जिससे कुछ राहत मिली। हालांकि,अगर मिडिल ईस्ट संघर्ष तेज होता है तो कच्चे तेल की कीमतों में हाल ही में हुई बढ़ोतरी एक बार फिर से महंगाई बढ़ा सकती है। सेक्टोरल इंडेक्सों की बात करें तो ऑटो, रियल्टी और बैंकिंग जैसे ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील सेक्टरों में मुनाफावसूली देखने को मिली। जबकि रुपए में कमजोरी से आईटी और फार्मा जैसे एक्सपोर्ट आधारित सेक्टरों को फायदा हुआ।”
उन्होंने आगे कहा कि ” महंगे वैल्यूएशन और भू-राजनीतिक जोखिमों को देखते हुए निवेशक अब सतर्क नजरिया अपना सकते हैं। अब सभी की निगाहें आगामी अमेरिकी फेड बैठक के नतीजों पर टिकी रहेंगी। इस बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव न होने की उम्मीद है। हालांकि, आगे की नीतियों का अनुमान लगाने लिए बाजार की नजरें यूएस फेड की टिप्पणी और आर्थिक अनुमानों पर बनी रहेंगी।”
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