jagannath Rath Yatra 2025 bring these things at home from puri mandir laxmi ji shower blessings

अगर आप जगन्नाथ मंदिर जा रहे हैं तो यहां से निर्माल्य जरुर लेकर आएं. निर्माल्य एक विशेष प्रकार का सूखा चावल होता है, जिसे मंदिर में पकाकर सुखाया जाता है और भगवान को भोग लगाने के बाद लाल रंग की पोटली में भक्तों को दिया जाता है.

अगर आप जगन्नाथ मंदिर जा रहे हैं तो यहां से निर्माल्य जरुर लेकर आएं. निर्माल्य एक विशेष प्रकार का सूखा चावल होता है, जिसे मंदिर में पकाकर सुखाया जाता है और भगवान को भोग लगाने के बाद लाल रंग की पोटली में भक्तों को दिया जाता है.

इसे घर में पूजा स्थान पर रखें. मान्यता है कि जहां निर्माल्य होता है वहां धन और अन्न दोनों की कभी कमी नहीं होती है. शुभ कार्य में इसका दाना इस्तेमाल करने पर बिना विघ्न के मंगल कार्य पूरे होते हैं ऐसी मान्यता है.

इसे घर में पूजा स्थान पर रखें. मान्यता है कि जहां निर्माल्य होता है वहां धन और अन्न दोनों की कभी कमी नहीं होती है. शुभ कार्य में इसका दाना इस्तेमाल करने पर बिना विघ्न के मंगल कार्य पूरे होते हैं ऐसी मान्यता है.

जगन्नाथ मंदिर से बेंत यानी छड़ी लाने की परंपरा बहुत पुरानी है. मान्यता है कि इससे घर में मां लक्ष्मी का वास होता है. दरअसर यह बेंत पूजा के दौरान भक्तों को छुआया जाता है, मान्यता है कि इससे भक्तों को बल, बुद्धि और यश की प्राप्ति होती है

जगन्नाथ मंदिर से बेंत यानी छड़ी लाने की परंपरा बहुत पुरानी है. मान्यता है कि इससे घर में मां लक्ष्मी का वास होता है. दरअसर यह बेंत पूजा के दौरान भक्तों को छुआया जाता है, मान्यता है कि इससे भक्तों को बल, बुद्धि और यश की प्राप्ति होती है

पुरी रथ यात्रा के दौरान तुलसी की माला जरूर लानी चाहिए. ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सकती है. तुलसी श्रीकृष्ण को बेहद प्रिय है.

पुरी रथ यात्रा के दौरान तुलसी की माला जरूर लानी चाहिए. ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सकती है. तुलसी श्रीकृष्ण को बेहद प्रिय है.

जगन्नाथ मंदिर कई रहस्य अपने आप में समेटे हुए हैं. मान्यतानुसार भगवान कृष्ण ने अपनी देह का त्याग इसी मंदिर में किया था और शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गए. यह हिस्सा उनका हृदय था. माना जाता है कि मंदिर में रखे श्रीकृष्ण के लकड़ी के देह में आज भी वह हृदय धड़क रहा है.

जगन्नाथ मंदिर कई रहस्य अपने आप में समेटे हुए हैं. मान्यतानुसार भगवान कृष्ण ने अपनी देह का त्याग इसी मंदिर में किया था और शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गए. यह हिस्सा उनका हृदय था. माना जाता है कि मंदिर में रखे श्रीकृष्ण के लकड़ी के देह में आज भी वह हृदय धड़क रहा है.

मंदिर में जाने वाले भक्तों का कहना है कि मंदिर के सिंहद्वार में जाने पर जबतक अंदर कदम नहीं जाते तो समुद्र की लहरों की आवाज आती है. लेकिन, जैसे ही कदम सिंहद्वार में पड़ते हैं वैसे ही लहरों की आवाज रुक जाती है.

मंदिर में जाने वाले भक्तों का कहना है कि मंदिर के सिंहद्वार में जाने पर जबतक अंदर कदम नहीं जाते तो समुद्र की लहरों की आवाज आती है. लेकिन, जैसे ही कदम सिंहद्वार में पड़ते हैं वैसे ही लहरों की आवाज रुक जाती है.

Published at : 14 Jun 2025 08:05 AM (IST)

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