Ram Bihari Choubey Murder Case : बीजेपी विधायक सुशील सिंह हाईकोर्ट में तलब, बतौर अभियुक्त भेजा नोटिस, अगली सुनवाई 21 अगस्त को

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने वाराणसी के चौबेपुर थानाक्षेत्र के बहुचर्चित राम बिहारी चौबे हत्याकांड (Ram Bihari Choubey Murder Case) में क्षेत्रीय विधायक सुशील सिंह (Regional MLA Sushil Singh) को बतौर अभियुक्त तलब किए जाने की मांग में दाखिल निगरानी याचिका पर विधायक को नोटिस जारी किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने अमरनाथ चौबे की निगरानी याचिका पर दिया है। कोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तारीख लगाई है और पक्षों को इस दौरान जवाब व प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

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याची की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि अमरनाथ चौबे के पिता राम बिहारी चौबे की चार दिसंबर 2015 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। याची के भाई अभय नाथ चौबे ने वाराणसी के चौबेपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस ने इस मामले में तीन अभियुक्तों नागेन्द्र उर्फ राजू अजय सिंह उर्फ अजय मरदह व सनी सिंह को गिरफ्तार किया। नागेन्द्र उर्फ राजू ने बयान में बताया कि उसने अजय सिंह के कहने पर हत्या को अंजाम दिया।

अजय सिंह स्थानीय विधायक सुशील सिंह (MLA Sushil Singh) के निरंतर संपर्क में रहता था। इसलिए पुलिस ने विधायक सुशील सिंह (MLA Sushil Singh) के खिलाफ भी विवेचना शुरू की लेकिन उनकी राजनीतिक पहुंच और सत्ताधारी पार्टी से जुड़े होने के कारण पुलिस ने सही तरीके से विवेचना नहीं की। इस पर याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई जांच (CBI Investigation) की मांग की। हाईकोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए प्रदेश शासन के मुख्य सचिव की देखरेख में सीओ स्तर के अधिकारी से विवेचना कराने का निर्देश दिया। उसके बाद याची ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज को मामले की विवेचना का जिम्मा सौंपा और जांच के बाद उन्हें रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के अनुपालन में जांच अधिकारी की रिपोर्ट वाराणसी की ट्रायल कोर्ट भेजी गई, जहां अन्य अभियुक्तों के खिलाफ ट्रायल चल रहा है। याची ने जांच अधिकारी के निष्कर्ष को खारिज करने और विधायक को बतौर अभियुक्त तलब करने के लिए ट्रायल कोर्ट में अर्जी दी। ट्रायल कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी तो यह निगरानी याचिका दाखिल की गई।

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