Mangal Dosh: शादी विवाह के दौरान एक चीज की सबसे अधिक चर्चा होती है. इसे मंगल दोष कहा जाता है. लेकिन वाकई में मंगल दोष क्या है? शास्त्रों में इसे लेकर क्या कहा गया है? जानते हैं.
ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है. बृहत् पाराशर होरा शास्त्र और फलदीपिका जैसे ग्रंथों के अनुसार, यदि मंगल ग्रह कुंडली के 1st, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में स्थित हो, तो मंगल दोष बनता है.
इसे कुज दोष भी कहा जाता है और यह विवाह में बाधा, तनाव और टूटन का कारण बन सकता है. बृहत् पाराशर होरा शास्त्र में स्पष्ट लिखा है- कुजो लग्ने चतुर्थे सप्तमे अष्टमे च द्वादशे च स्थितः, तदा कुजदोषः स्यात्.
शादी से पहले कैसे पहचानें कि वर या वधू की कुंडली में मंगल दोष है?
किन भावों में मंगल दोष बनता है?
भाव | क्षेत्र | प्रभाव |
लग्न (1st) | स्वभाव | अहं, आक्रोश |
चतुर्थ (4th) | गृहस्थ जीवन | गृहकलह |
सप्तम (7th) | दांपत्य | वैवाहिक असफलता |
अष्टम (8th) | दीर्घायु | तनावपूर्ण विवाह |
द्वादश (12th) | मानसिक स्थिति | दूरी, असहयोग |
फलदीपिका व जातक पारिजात जैसे शास्त्रीय ग्रंथों में इसकी व्याख्या मिलती है-
लग्नाद् वासरलग्नाद्वा कुजो यत्र स्थितो भवेत्।
तत्र विवाहे बाधा स्यादिति संप्रोक्तं मुनिभिः॥
इसका अर्थ है कि यदि मंगल ग्रह जन्म लग्न या चंद्र लग्न से देखे गए प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में स्थित हो, तो विवाह में बाधा आती है
मंगल दोष की जांच कैसे करें?
- जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति देखें
- क्या वह उपरोक्त भावों में है?
- क्या उस भाव पर शुभ ग्रह की दृष्टि है?
- क्या दोनों कुंडलियों में दोष है? तो दोष समानता सिद्धांत लागू होता है
ज्योतिष ग्रंथ फलदीपिका में इस श्लोक ‘यत्र दोषद्वयं तत्र दोषो न दोषाय.’ के माध्यम से समझाने की कोशिश की गई है कि यदि वर और वधू दोनों की कुंडली में एक ही दोष (जैसे मंगल दोष) हो, तो वह दोष निष्क्रिय हो जाता है और वैवाहिक जीवन में विघ्न नहीं देता.
मंगल दोष से शादी कैसे बन सकती है नरक?
मानसिक अशांति और अविश्वास: मंगल दोष वाले दांपत्य में गुस्सा, हिंसा, तर्क-वितर्क अधिक होता है. जिस कारण वैवाहिक जीवन में परेशानियां बनी रहती हैं.
वैवाहिक जीवन में अलगाव और तलाक का खतरा
विशेष रूप से सप्तम, अष्टम, द्वादश भाव में मंगल स्थित होने पर.
घरेलू जीवन में क्लेश और कलह
चतुर्थ भाव में मंगल सुख-सुविधा का नाश करता है.
जातक पारिजात में एक स्थान पर लिखा है ‘कुजोऽथवा राहुश्चेद्भावं सप्तमं यदा गच्छेत्. तदा कलहो, विरहः, जीवनशत्रुत्वमेव च.’ यानि यदि मंगल या राहु जन्म कुंडली के सप्तम भाव में स्थित हो, तो व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में झगड़े, अलगाव और जीवनसाथी से शत्रुता जैसी स्थिति उत्पन्न होती है.
क्या हर मंगल दोष घातक होता है?
स्थिति | असर |
दोनों में मंगल दोष | दोष समानता के कारण असर कम |
गुरु, चंद्र की दृष्टि | दोष का शमन |
उच्च का मंगल | सकारात्मक फल संभव |
क्या मंगल दोष आधुनिक चिकित्सा से भी जुड़ा है?
हां. आयुर्वेद में मंगल दोष से पित्त प्रकृति, रक्तदोष, मानसिक असंतुलन जैसे लक्षण जोड़े गए हैं. क्रोध, उत्तेजना, असहयोगिता से रिश्तों में टूटन आती है.
शास्त्रीय दृष्टि से मंगल दोष का समाधान
उपाय | विधि |
कुमारी विवाह | कन्याओं के लिए पीपल/विष्णु से |
मंगल यंत्र और बीज मंत्र | ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः’ (108 जाप) |
मंगलवार व्रत | हनुमान चालीसा, सुंदरकांड |
मूंगा रत्न | ज्योतिष सलाह से धारित करें |
मानसागरी के अनुसार ‘मङ्गलात् सर्वदोषाणां नाशः स्यात् उचितैः क्रियैः.’ इसका अर्थ है कि मंगल दोष या उसके कारण उत्पन्न अन्य सभी दोषों का नाश संभव है, यदि उचित शांति विधि, पूजा-पाठ, या उपाय किए जाएं.
मंगल दोष के उदाहरण
- द्रौपदी: मंगल प्रभाव के कारण एक से अधिक विवाह
- नल-दमयंती: मंगल और शनि प्रभाव से अलगाव, उपायों से पुनर्मिलन
मंगल दोष से क्या डरना चाहिए?
ज्योतिष के अनुसार मंगल दोष विवाह के रिश्ते में अदृश्य दरार बनाता है लेकिन अगर समय रहते पाता लगा लिया जाए, तो वही रिश्ता सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक भी बन सकता है. इसलिए इससे डरें नहीं, जागरूक बनें और उपाय करें.
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