Editor’s Take: अमेरिका में आने वाली है मंदी? बाजार के लिए कैसा बन रहा है आउटलुक? समझें Anil Singhvi से

Editor’s Take: आज बाजार के सामने कई बड़े सवाल हैं जो निवेशकों की रणनीति को प्रभावित कर सकते हैं. मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने कहा कि ग्लोबल मार्केट्स को हिलाने वाली तीन बड़ी खबरों में सबसे अहम है अमेरिका और चीन के बीच संभावित ट्रेड डील का ऐलान.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि डील ‘उनकी तरफ’ से फाइनल है, लेकिन इसकी अंतिम मंजूरी शी जिनपिंग को देनी बाकी है. डील के तहत चीन अमेरिका को Rare Earth Minerals सप्लाई करेगा, जबकि अमेरिका चीनी छात्रों को शिक्षा के लिए एंट्री देगा. ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिका को 55% और चीन को केवल 10% फायदा होगा. हालांकि, उनके इतिहास को देखते हुए सवाल उठता है कि इस ऐलान पर कितना भरोसा किया जाए. ट्रंप अक्सर काम से ज्यादा बातों में विश्वास रखते हैं, और जब तक चीन की आधिकारिक मंजूरी नहीं आती, तब तक इस डील को पक्का मानना जोखिम भरा हो सकता है.

अमेरिका में मंदी का खतरा

दूसरी बड़ी चिंता अमेरिका में मंदी का खतरा है. अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने चेतावनी दी है कि अगर कर्ज की सीमा नहीं बढ़ी, तो 2008 जैसी बड़ी मंदी आ सकती है. ऐसे बयान ग्लोबल सेंटिमेंट को हिला सकते हैं. भारत और अमेरिका की तुलना में यह फर्क भी दिखता है कि भारत के नेता बाजार में स्थिरता बनाए रखने की कोशिश करते हैं, जबकि अमेरिका में नेता खुद अनिश्चितता बढ़ा रहे हैं. इसके अलावा, अमेरिका 18 देशों से ट्रेड डील की बात कर रहा है, और टैरिफ रोक की 90 दिन की सीमा बढ़ाने की मांग भी सामने आई है.

कच्चे तेल ने बढ़ाई टेंशन

तीसरी अहम चिंता ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव है. अब ईरान भी अमेरिका को आंख दिखा रहा है. ट्रंप घरेलू दंगों, टैरिफ वॉर और अंतरराष्ट्रीय तनाव से जूझ रहे हैं. ऐसे में कच्चे तेल की कीमत का $70 तक पहुंचना थोड़ी निगेटिव बात है, क्योंकि इससे तेल कंपनियों की तेजी पर ब्रेक लग सकता है.

घरेलू बाजार में कहां रखें नजर?

अब बात करें घरेलू बाजार की तो FIIs-DIIs की धीमी खरीदारी से बाजार पर दबाव बन सकता है. FIIs ने तीन दिनों बाद फिर कैश मार्केट में ₹446 करोड़ की बिकवाली की, जबकि घरेलू फंड्स ने ₹1585 करोड़ की खरीदारी की, लेकिन यह भी बेहद सीमित रही. इसके अलावा, बैंक निफ्टी दो दिनों से कमजोर नजर आ रहा है, जबकि निफ्टी में लगातार छह दिनों से तेजी बनी हुई है. बैंक निफ्टी अक्सर बाजार के मूवमेंट का नेतृत्व करता है, और उसकी कमजोरी आने वाले ठहराव के संकेत दे रही है. बैंक निफ्टी फिलहाल 56000-57000 के दायरे में फंसा है, और बड़े मूव के लिए इस रेंज का टूटना जरूरी है.

बाजार की मजबूती के बावजूद सेंटिमेंट कमजोर नजर आ रहा है. छह दिनों की तेजी के बाद भी कल अचानक गिरावट ने बाजार की भावनाओं को झटका दिया. मिड और स्मॉलकैप शेयरों में भी मुनाफावसूली देखी गई. तेजी की धीमी रफ्तार सेंटिमेंट को पूरी तरह सपोर्ट नहीं कर रही. कच्चे तेल के 70 डॉलर तक पहुंचने से ONGC, Oil India जैसे ऑयल एंड गैस शेयरों में जरूर मजबूती रह सकती है, लेकिन दूसरी तेल कंपनियों पर दबाव बनेगा. कुल मिलाकर, बाजार मजबूत है लेकिन सतर्क रहना जरूरी है क्योंकि सेंटिमेंट कमजोर है, ग्लोबल संकेत अस्थिर हैं, और घरेलू तकनीकी संकेत भी संभलकर चलने की सलाह दे रहे हैं.

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