poverty changed the thinking of youth for not giving birth to child

Poverty and Family Planning: “हम बच्चे के बारे में सोच तो रहे हैं, लेकिन अभी जॉब स्थिर नहीं है, खर्चे कैसे उठाएंगे?” ये एक आम वाक्य है जो आजकल के बहुत से नवविवाहित या युवा दंपतियों की बातचीत का हिस्सा बन गया है. वो दौर गया जब परिवार का विस्तार एक स्वाभाविक चरण माना जाता था. आज की युवा पीढ़ी पहले “सुरक्षित भविष्य” को प्राथमिकता देती है, फिर परिवार बढ़ाने की सोचती है. बढ़ती महंगाई, नौकरी की अनिश्चितता और जीवनशैली की नई अपेक्षाओं ने आज के युवाओं की सोच को जड़ से बदल दिया है. अब “बच्चा कब होगा?” के जवाब में “पहले नौकरी तो हो” जैसी बातें आम होती जा रही हैं. 

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आर्थिक तंगी और नौकरी की अनिश्चितता

भारत में लाखों युवा ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद भी बेरोजगार हैं या अस्थायी नौकरियों में संघर्ष कर रहे हैं. मेट्रो शहरों में किराया, EMI, मेडिकल खर्च और जीवनशैली को बनाए रखने में ही पूरी सैलरी खत्म हो जाती है. ऐसे में बच्चे के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उठाना हर किसी के लिए आसान नहीं होता. 

बच्चा अब ‘वित्तीय प्लानिंग’ बन गया है

पहले बच्चों को ‘भगवान का आशीर्वाद’ मानकर स्वीकार किया जाता था, लेकिन आज वह एक ‘प्लान्ड इन्वेस्टमेंट’ की तरह देखा जा रहा है. हॉस्पिटल खर्च, शिक्षा, डे केयर, प्राइवेट स्कूल, कोचिंग, एक्स्ट्रा करिकुलर, ये सभी बातों को जोड़ें तो बच्चे की परवरिश अब लाखों के खर्च की मांग करती है. युवा माता-पिता पहले खुद को आर्थिक रूप से तैयार करना चाहते हैं, ताकि वे अपने बच्चे को बेहतर भविष्य दे सकें, वही भविष्य जिसकी उन्हें खुद कभी कमी महसूस हुई थी. 

भावनात्मक दबाव बनाम वास्तविक जरूरतें

आज भी कई परिवारों में शादी के बाद जल्द बच्चा पैदा करने का दबाव होता है, खासकर छोटे शहरों या पारंपरिक सोच वाले घरों में. लेकिन नई पीढ़ी अब भावनात्मक दबाव के बजाय अपने बारे में सोचती है. वे मानसिक और आर्थिक दोनों स्तर पर तैयार होना चाहते हैं, ताकि बच्चों के साथ न्याय कर सकें. 

क्या यह सोच गलत है?

बिल्कुल नहीं। यह सोच आज के समय के अनुकूल है. बदलते समाज, बढ़ते खर्च और सीमित संसाधनों के बीच यह जरूरी हो गया है कि लोग सोच-समझकर ही निर्णय लें. यह सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी की भलाई के लिए भी जरूरी है. लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है, क्योंकि कुछ लोग ऐसे हैं कि, बच्चे करना ही नहीं चाहते, ऐसे में भारत की स्थिति आगे चलकर बिगड़ सकती है. क्योंकि बच्चे नहीं होंगे तो बहुत सी चीजें है, जो थम सी जाएगी. 

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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