Karnavedha Sanskar Why is it important for boys Know its importance and benefits

Karnavedha Sanskar: सनातन धर्म प्राचीन संस्कृति संस्कारों पर आधारित हैं. ऐसे में हिंदू धर्म में व्यक्ति के लिए 16 संस्कार बताए गए हैं. इन्हीं 16 संस्कारों में से एक संस्कार कर्ण छेदन जिसे कर्ण वेध संस्कार भी कहते हैं. आज कल के दौर में जानकारी के अभाव में अधिकतर लड़के इस संस्कार का पालन नहीं करते हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि समाज में कान छिदवाना लड़कियों को काम होता है. जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है. कर्ण छेदन संस्कार लड़कों के लिए भी बेहद जरूरी है. जानते हैं कर्ण छेदन संस्कार क्या है और हिंदू धर्म में इसका क्या महत्व है?

पुरुषों के लिए बायां कान काफी महत्वपूर्ण होता है. कर्ण छेदन केवल परंपरा ही नहीं बल्कि एक सनातन संस्कृति भी है. जिसे हमारे पूर्वज अच्छी तरह से जानते थे. वैदिक ज्योतिष में शरीर का बायां हिस्सा हमें शीतलता प्रदान करता है. आज कल के दौर में ज्यादातर युवा कर्ण छेदन संस्कार के ज्ञान के अभाव में इसे एक फैशन समझते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. बायां कान छिदवाने से ये हमारी इड़ा नाड़ी को सक्रिय करता है, जिससे हमें अपने अंदर के ज्ञान, शांति और विचारों पर काबू पाने में मदद मिलती है. 

कर्ण भेद संस्कार से क्या होता है?
कान का संबंध चंद्रमा, बुध और राहु से होता है. राहु जो भ्रम, बेचैनी और इमोशनल असंतुलन का कारण बनता है. वहीं चंद्रमा बार बार व्यक्ति के मिजाज को बदलता है, उसे ऐसे निर्णय लेने पर मजबूर कर देता है, जो तर्कहीन हो. जबकि बुध ग्रह भी बुद्धि और वाणी पर प्रभाव डालता है. ऐसे में बाएं कान में बाली पहनने से इन ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव काम होता है. यही कारण है कि प्राचीन समय में राजा महाराज भी कोई कर्ण छेदन संस्कार का पालन करता था. जिन लोगों पर राहु की महादशा, चंद्र दोष या बुध की स्थिति खराब है, ऐसे लोगों को कान में बाली पहनने से लाभ होता है. 

कान छिदवाने से व्यक्ति का शुक्र मजबूत होता है. शुक्र मजबूत होने से उसके रिश्ते मजबूत होते हैं, जो प्यार को बढ़ाने में मदद करता है. वहीं जिन लोगों को बात बात पर गुस्सा आता है, उन्हें बाएं कान में बाली पहनन चाहिए. कान में चांदी की बाली पहनने से चंद्रमा मजबूत होने के साथ ही आपको शांति मिलती है. कान में सोने की बाली पहनने से व्यक्ति पर किसी भी जादू टोने या बुरी शक्ति का प्रभाव नहीं पड़ता है. 

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