Guru Asta 2025 date jupiter set in gemini from 12 june to 6 july impact on zodiac sign

Guru Asta 2025: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, गुरु बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है और यह ग्रह भाग्य, समृद्धि, ज्ञान और सम्मान का कारक होता है. गुरु ग्रह लगभग 1 साल में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं, लेकिन इस वर्ष गुरु की गति सामान्य से दोगुनी होगी, जिससे वह एक वर्ष में दो बार राशि परिवर्तन करेंगे. इस समय गुरु बृहस्पति मिथुन राशि में विराजमान हैं और अक्तूबर तक इसी राशि में रहेंग.

कब अस्त होंगे गुरु

11 जून को गुरु देव पश्चिम दिशा में अस्त होंगे. इसके बाद 7 जुलाई को पूर्व दिशा में उदय होंगे. 6 जुलाई से चातुर्मास आरंभ हो जाएगा.  जुलाई से चार महीना तक चातुर्मास रहेगा. इसमें मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे. 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी के बाद 21 नवंबर से विवाह आरंभ होंगे. गुरु के अस्त होने के कारण धार्मिक और मांगलिक कार्य करना इस दौरान वर्जित होगा.

गुरु के अस्त होने से लोगों में भौतिकता का विकास होगा, धन और दैहिक सुख के प्रति लोगों में आकर्षण बढ़ेगा. धार्मिक क्रिया कलापों से भी मन कुछ हटा रहेगा. परिवार की सेहत का भी ध्यान रखना होगा.

गुरु का उदय होना क्यों जरुरी

विवाह में गुरु ग्रह को उदय होना आवश्यक माना जाता है. हमारे षोडश संस्कारों में विवाह का बहुत महत्त्व है. विवाह का दिन व लग्न निश्चित करते समय वर एवं वधु की जन्म पत्रिका अनुसार सूर्य, चंद्र व गुरु की गोचर स्थिति का ध्यान रखना अति आवश्यक होता है. जिसे त्रिबल शुद्धि कहा जाता है. विवाह के समय सूर्य वर की जन्म राशि से चतुर्थ, अष्टम या द्वादश गोचरवश स्थिति में नहीं होना चाहिए.

गुरु कन्या की जन्मराशि से चतुर्थ, अष्टम या द्वादश एवं चंद्र वर-वधु दोनों की जन्मराशि से चतुर्थ, अष्टम या द्वादश स्थित में नहीं होना चाहिए. यदि सूर्य, गुरु व चंद्र गोचरवश इन भावों में स्थित होते हैं, तब वे अपूज्य कहलाते हैं. शास्त्रानुसार ऐसी ग्रह स्थिति में विवाह करना निषेध बताया गया है.

ग्रहों के राजा सूर्य माने गए हैं. वहीं, मंत्री गुरु ग्रह हैं. गुरु ग्रह के साक्षी होने पर ही विवाह व मांगलिक कार्य होते हैं. गुरु ग्रह के अस्त होने के साथ सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा. 

गुरु अस्त होने पर बंद हो जाएंगे ये शुभ काम

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनायी जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु शयन मुद्रा में चले जाएंगे. सूर्य दक्षिणायन हो जाएंगे. इसके साथ चातुर्मास भी शुरू हो जाएगा. 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु जागृत होंगे. इसके बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे.

गुरु के अस्त होने और सूर्य के दक्षिणायन होने से मांगलिक कार्यों पर रोक लगेगी साथ ही वधु प्रवेश, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा, यज्ञोपवीत, जनेऊ आदि आयोजनों पर विराम लग जाएगा. इसके बाद 21 नवंबर से शुरू होकर मांगलिक कार्य 15 दिसंबर तक चलते रहेंगे.

गुरु की उच्च और नीच राशि

ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को गुरु कहा जाता है यह धनु और मीन राशि के स्वामी होते हैं और कर्क इसकी उच्च राशि है जबकि मकर इनकी नीच राशि मानी जाती है. गुरु ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि के कारक माने जाते हैं.

ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा बरसती है उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलता है.

सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव

गुरु के अस्त होने का सबसे प्रतिकूल प्रभाव कर्क, धनु और मीन राशियों पर पड़ सकता है, इसलिए इन राशियों के लोगों को गुरु अस्त के दौरान गुरु ग्रह से संबंधित उपाय करने चाहिए. बाजार पर भी गुरु के अस्त होने का प्रभाव दिखेगा. सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. इन दिनों शेयर में बहुत ही ज्यादा संभलकर निवेश करने की जरूरत है.

कर्क, धनु और मीन राशि वालों की बढ़ सकतीं हैं मुश्किलें

गुरु अस्त होने से कर्क, मीन और धनु राशि वालों की मुश्किलें बढ़ सकतीं हैं। इस राशि वालों को कोई नया निवेश नहीं करना चाहिए साथ ही अभी कोई नया व्यापार भी शुरू नहीं करना चाहिए. वरना नुकसान हो सकता है. इस अवधि में नुकसान, शत्रुओं से हानि का सामना करना पड़ सकता है.

वहीं किसी विवाद भी हो सकता है लिहाजा इस समय बेहद संभलकर चलें. किसी बुजुर्ग से आपकी कहासुनी हो सकती हैं इसलिए शब्दों की मर्यादा बनाकर चलें, तो बेहतर होगा.

बढ़ सकती है आय

गुरु का अस्त होना यूं तो वैदिक ज्योतिष में शुभ नहीं माना जाता लेकिन गुरु के अस्त होने के कारण कुछ राशियों को इस दौरान सुखद फल भी प्राप्त हो सकते हैं. गुरु अस्त के दौरान गुरु की शत्रु राशियों वृषभ, तुला के साथ ही बुध ग्रह के स्वामित्व वाली मिथुन और कन्या राशि के जातकों को भी सुखद फल प्राप्त हो सकते हैं.

इन राशियों के जातक इस दौरान करियर में आगे बढ़ सकते हैं और पैसा कमाने के नए स्रोत भी इस समय इन राशि के लोगों को मिल सकते हैं. पारिवारिक जीवन में भी अच्छे परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं.

आर्थिक हालात हो सकते हैं खराब

वैश्विक स्तर पर गुरु के अस्त होने का प्रभाव देखने को मिलेगा, गुरु अस्त के दौरान अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इस दौरान शेयर मार्केट में अनिश्चितता की स्थिति रहेगी विदेशी व्यापार में कमी आ सकती है जिससे कई देशों के आर्थिक हालात खराब हो सकते हैं.

स्वतंत्र भारत की कुंडली में गुरु एकादश भाव यानी लाभ भाव के स्वामी हैं इसलिए अपने देश के लिए भी गुरु का अस्त होना अच्छा नहीं है इस समय कुछ विदेशी सौदों से नुकसान हो सकता है इसलिए देश की सरकार को कोई भी निर्णय बहुत सोच समझकर लेना होगा.

करें उपाय

गुरु के प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए गुरु से संबंधित उपाय करने चाहिए. जैसे पीले वस्त्र आपको पहनने चाहिए या पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए. गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए हो सके तो इस दौरान प्रतिदिन आप योग ध्यान करें. इसके साथ ही केले के वृक्ष की पूजा करने से भी आपको लाभ मिल सकते हैं. बड़े फैसले अनुभवी लोगों से विचार करके लें.

गुरु अस्त होने का सभी 12 राशियों पर प्रभाव

  1. मेष राशि – आपको मिले जुले परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. गुरु के अस्त होने से धर्म कर्म के कार्यों में आपका मन लगेगा. माता-पिता के साथ तीर्थ यात्रा पर जाने की योजना बनेगी.
  2. वृषभ राशि – आपके घरेलू खर्च बढ़ सकते हैं इसलिए बेवजह के खर्चों पर नियंत्रण रखें. अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा. अगर कहीं से धन आ रहा है को उसमें थोड़ा विलंब हो सकता है.
  3. मिथुन राशि – सामाजिक कार्यों को करने से आपका सम्मान बढ़ेगा और सामाजिक दायरा भी बढ़ेगा, जो भविष्य में आपके लिए फायदेमंद साबित होगा. सफलता अवश्य मिलेगी.
  4. कर्क राशि – अगर आप इस समय किसी यात्रा पर जाने की योजना बना रहे हैं तो फिलहाल के लिए उसे टाल दें. थोड़ा संभलकर कार्य करने की आवश्यकता है.
  5. सिंह राशि – अचानक आने वाली समस्याओं में कमी आएगी और व्यापार में अच्छी उन्नति होगी. बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। रिश्तों में मजबूती आएगी.
  6. कन्या राशि – जीवनसाथी के साथ आपके रिश्ते अच्छे रहेंगे और कोई खुशखबरी भी प्राप्त हो सकती है. अगर आपका किसी से वाद-विवाद चल रहा है तो वह खत्म हो जाएग. अच्छा लाभ होगा.
  7. तुला राशि – धार्मिक कार्यों में आपका मन लगेगा और आध्यात्मिक गतिविधियों में आपकी रुचि बढ़ेगी. अति आत्मविश्वासी होने से बचना होगा और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा.
  8. वृश्चिक राशि – प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है लेकिन गुरुजनों का सहयोग भी मिलता रहेगा.  परिवार के किसी सदस्य के साथ आपके संबंध उतार-चढ़ाव वाले रहेंगे.
  9. धनु राशि – सरकारी नौकरी करने वाले जातक अपने काम पर ध्यान दें अन्यथा किसी मुसीबत में फंस सकते हैं। माता या पिता के साथ किसी बात टकराव हो सकता है.
  10. मकर राशि – जीवनसाथी के साथ किसी गलतफहमी की वजह से विवाद हो सकता है। मकर राशि वालों को इस अवधि में थोड़ा संभलकर कार्य करने की आवश्यकता है.
  11. कुंभ राशि – बड़ा नुकसान हो सकता है. इस अवधि में परिवार के किसी सदस्य के कार्य की वजह से भागदौड़ करनी पड़ सकती है. आपके लिए इस दौरान बेहतर होगा कि अपने शब्दों का चयन सोच समझकर करें अन्यथा किसी विवाद में फंस सकते हैं
  12. मीन राशि – कार्यक्षेत्र में आप अच्छे से काम करेंगे और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संबंध बेहतर होंगे हालांकि इस दौरान आप कहीं भी निवेश करने से बचें और परिवार के सदस्यों का ध्यान रखें.

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