humans become immortal by 2050 According to predictions of Dr Ian Pearson and Ray Kurzweil

Human Immortility: अमरता का विचार मानव सभ्यता की शुरुआत से जुड़ा रहा है. वैदिक काल और पौराणिक ग्रंथों में ऋषि-मुनियों ने अमर होने के लिए तपस्या का जिक्र किया है.  वे अमरता को एक दिव्य वरदान मानते थे, जिसे केवल ईश्वर की कृपा से प्राप्त किया जा सकता था. समय के साथ विज्ञान का उदय हुआ और इंसान ने इस “दिव्यता” को तकनीकी रूप से पाने की ठान ली.

आज हम एक ऐसे मोड़ पर हैं जहां तकनीकी प्रगति ने अमरता को कल्पना से हकीकत में बदलने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. इस दिशा में सबसे चर्चित नाम हैं – डॉक्टर इयान पियर्सन. वे भविष्य की तस्वीर कुछ यूं खींचते हैं, जिसमें इंसान अपना दिमाग कंप्यूटर में ट्रांसफर कर के शारीरिक मृत्यु के बावजूद “डिजिटल रूप” में जीवित रह सकता है.

डॉक्टर इयान पियर्सन का दावा: इंसान मरेंगे नहीं अपलोड होंगे
डॉक्टर इयान पियर्सन, एक प्रसिद्ध फ्यूचरोलॉजिस्ट का मानना है कि 2050 तक तकनीक इतनी विकसित हो जाएगी कि इंसान अपना संपूर्ण व्यक्तित्व, यादें और सोचने की क्षमता एक मशीन या रोबोटिक शरीर में अपलोड कर सकेगा. इस प्रक्रिया को Mind Uploading कहा जाता है.

डॉक्टर इयान पियर्सन का बयान
वे कहते हैं कि 2050 तक यह तकनीक केवल अमीर वर्ग तक सीमित होगी. 2060 तक मध्यम वर्ग भी इसका लाभ उठा सकेगा. बायोटेक्नोलॉजी और जेनेटिक इंजीनियरिंग के ज़रिए उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा किया जा सकता है. ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) जैसे उपकरण यादों और सोच को डिजिटल रूप में स्थानांतरित कर सकते हैं. इस विचारधारा के पीछे यह मान्यता है कि यदि मस्तिष्क का डेटा संरक्षित और सक्रिय रखा जाए तो भले ही शरीर न रहे, इंसान तकनीकी रूप से “अमर” बना रह सकता है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रे कुर्जवील की भविष्यवाणी
डॉक्टर पियर्सन की बातों को बल मिलता है जब हम रे कुर्जवील की भविष्यवाणी को देखते हैं. कुर्जवील, जो कि गूगल के पूर्व इंजीनियर और विश्वप्रसिद्ध फ्यूचरिस्ट हैं, वे कहते हैं 2029 तक AI इंसानी दिमाग की बराबरी करेगा.2030 के दशक में मानव दिमाग सीधे क्लाउड से जुड़ पाएगा.2045 तक इंसान साइबोर्ग बन सकते हैं यानी आधे मानव, आधे मशीन. रे कुर्जवील की कई भविष्यवाणियां पहले सच साबित हो चुकी हैं ,जैसे शतरंज में कंप्यूटर की जीत और स्मार्टफोन का क्रांतिकारी प्रभाव. उनका मानना है कि मशीन और मानव का समागम वह बिंदु होगा जब इंसान अपनी चेतना को डिजिटल रूप में संरक्षित कर पाएगा.

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